भुवनेश्वर। ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हादसे में 288 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए। हादसे में अपनों को खोने वाले लोग उनके शवों के लिए मुर्दाघरों के चक्कर लगा रहे हैं और कई शव ऐसी भी हैं जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। वहीं, कुछ लोग मुआवजे के लिए अपनों को भी मारने के लिए तैयार हैं।
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दरअसल, ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए 17 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया गया, जिसमें ओडिशा के सीएम ने पांच लाख रुपये, पीएम मोदी ने दो लाख रुपये और रेल मंत्रालय ने दस लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया था। मुआवजे की इस बड़ी रकम के लिए एक महिला ने हादसे में पति के मारे जाने का फर्जी दावा किया। हालांकि दावे के लिए पेश किए गए दस्तावेज़ जांच में फर्जी निकले। जिसके बाद आरोपी महिला फरार बताई जा रही है।
पति ने दर्ज करवाई शिकायत
इस मामले में आरोपी महिला का नाम गीतांजलि दत्ता बताया जा रहा है, जोकि कटक के मणियाबांदा की रहने वाली है। महिला का दावा था कि उसके पति बिजय दत्ता की 2 जून को हुए ट्रेन हादसे में मौत हो गयी थी। इस दौरान आरोपी महिला ने एक शव की पहचान अपने पति के रूप में भी की थी। लेकिन दस्तावेजों की जांच में उसका दावा फर्जी निकला। हालांकि पुलिस ने उसे सिर्फ चेतवानी देकर छोड़ दिया था।
वहीं, जब महिला के पति बिजय दत्ता को यह बात पता चली तो उन्होंने पत्नी गीतांजलि के खिलाफ मणियाबांदा थाने में सरकारी पैसा हड़पने की कोशिश और उन्हें मृत साबित करने की कोशिश के मामले में केस दर्ज करवाया है। जिसके बाद से आरोपी महिला फरार बताई जा रही है। बिजय दत्ता ने बताया कि बीते 13 साल से वह पत्नी गीतांजलि से अलग रह रहे हैं। उन्होंने गीतांजलि के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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हालांकि मामला बालासोर जिले के बहानागा थाने से संबन्धित होने के कारण पुलिस ने बिजय दत्ता को उसी थाने में शिकायत दर्ज कराने को कहा है। प्रदेश के मुख्य सचिव पी के जेना ने भी रेलवे व ओडिशा पुलिस से शवों को लेकर फर्जी दावा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये हैं।