Bhadrapad Amavasya 2025 : भाद्रपद अमावस्या तिथि के विशेष अवसर पर लोग नदियों में स्नान करने के बाद सूर्य देव जल अर्पित करते है और जरूरतमंद को यथोचित दान भी करते है। मान्यता के अनुसार,अमावस्या की तिथि पितरों का तर्पण करने के लिए भी शुभ होती है। पुराने समय में इस तिथि पर कुशा घास एकत्र की जाती है। कुशा घास को धार्मिक और औषधीय महत्व के कारण एकत्र करने की मुख्य आवश्यकता पड़ती है। ग्रहण काल के दौरान भोजन को शुद्ध करने और आध्यात्मिक कार्यों में पवित्रता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। हिंदू धर्म में कुशा घास को पवित्र आसन (कुशा आसन) के रूप में उपयोग किया जाता है, जिस पर बैठकर ध्यान और पूजा-पाठ किए जाते हैं। कुशा घास का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
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ऐसे में आइये जानते है अगस्त के महीने में पड़ने वाली भाद्रपद अमावस्या कब है और इस दिन किस मुहूर्त में स्नान और दान किया जा सकता है, साथ ही कैसे करें पितरों की पूजा।
भाद्रपद अमावस्या कब है
इस साल भाद्रपद अमावस्या की तिथि 22 अगस्त की सुबह 11 बजकर 55 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 23 अगस्त की सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में 23 अगस्त को ही अमावस्या मनाई जाएगी। शनिवार के दिन पड़ने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या (Shanichari Amavasya) भी कहते हैं।
दान का शुभ मुहूर्त
अमावस्या के दिन 23 अगस्त को सुबह 11 बजकर 55 मिनट से पहले तक स्नान और दान किया जा सकता है। इस समयावधि में स्नान और दान (Snan Daan) संपन्न करना बेहद शुभ होगा।