Bhagvan Shri krishna Bhog Prasad : जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की खुशी में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त, सोमवार के दिन मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय उनके पूजन के बाद उन्हें शुद्ध मन से भोग अर्पित किया जाता है। भगवान को भोग लगाने के लिए भोग प्रसाद निर्माण में शुद्ध भाव का होना आवश्यक है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान भाव भक्ति के भूखे हैं। इस भक्तिपूर्ण कार्य के महत्व को समझने वाले भक्त इसका पालन भी करते है। भोग चढ़ाना भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति व्यक्त करने का एक हार्दिक तरीका है। चाहे आप एक अनुभवी साधक हों या इस प्रक्रिया में नए हों सबके लिए शुद्ध भाव का होना आवश्यक होता है।
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जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाने वाले भोग का निर्माण बहुत शुद्धता से करना चाहिए। भोग में तृलसी पत्र अवश्य रखना चाहिए। भगवान को भोग अर्पित करते समय भाव से इस मंत्र का जप भी करना चाहिए। भोग के साथ एक गिलास शुद्ध जल अवश्य अर्पित करना चाहिए।
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति। तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः।।
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं, कि भक्त यथासाध्य प्राप्त पत्र (पत्ता), पुष्प, फल, जल, आदि, जो भी प्रेमपूर्वक एवं शुद्ध मन से ईश्वर को अर्पण करते है, वह अर्पित की गयी भेंट, भगवान सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं (खा लेते हैं)| इस श्लोक का तात्पर्य है की ईश्वर के सामने कोई भेंट छोटी या बड़ी नहीं होती – भगवान तो केवल भक्ति के भूखे हैं।
इस प्राचीन परंपरा के माध्यम से आप अपने घर पर ही आराम से भक्ति और सेवा के नियम का पालन कर सकते है।