नई दिल्ली: यह बात तो हम सभी जानते है कि मायावती बहुजन समाज पार्टी (BSP) का नेतृत्व करने वाली एक भारतीय राजनेत्री हैं। वहीं वह आज अपना जन्मदिन मना रही है। यूपी की सीएम के रूप में उन्होंने चार बार उन्होंने कार्यभार को संभाला। साल 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना के वह इसकी एक अहम् सदस्य रही हैं और अब पार्टी की अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुकी है।
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बहुजन समाज पार्टी का गठन अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों सहित बहुजनों या दलितों के सुधार, विकास और कल्याण पर केंद्रित था। इतना ही नहीं साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने के उपरांत पार्टी के नेता के रूप में मायावती ने 7 मार्च 2012 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्हें संसद के उच्च सदन, राज्यसभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया।मायावती एक भारतीय राज्य की सीएम बनने वाली पहली भारतीय दलित मेंबर हैं। उन्हें दलितों के मध्य एक प्रतीक माना जाता है और लोकप्रिय रूप से आज भी उन्हें “बहनजी” के रूप में सम्मानित किया जाता है। पार्टी की एक नेत्री के रूप में, बहुजन समाज पार्टी के लिए बहुत सा धन जुटाने के लिए उनकी सराहना की गई है।
राजनीति में प्रवेश: हम बता दें कि बी.एड का पाठ्यक्रम पूरा करने के उपरांत, मायावती ने अपने पड़ोस में छात्रों को पढ़ाना शुरू किया और साथ ही IAS परीक्षा की तैयारीमें भी लग गई थी। एक बार वर्ष 1977 में जाने-माने दलित राजनेता कांशी राम उनके घर परिवार से मिलने आए। वह मायावती के वार्ता कौशल और विचारों से प्रभावित हुए और उन्हें राजनीति में शामिल होने का प्रस्ताव दिया।
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साल1984 में, कांशी राम ने बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की और उन्हें जिसके मेंबर के रूप में शामिल किया। भारतीय राजनीति में यह उनका पहला कदम था। साल 1989 में पहली बारवह संसद सदस्य के रूप मेंचुनी गई थीं। वर्ष 2006 में, मायावती ने कांशी राम का अंतिम संस्कार किया, जिसे लिंग अभिनति के विरुद्ध पार्टी की अभिव्यक्ति और विचारों के रूप में माना गया, क्योंकि भारतीय हिंदू परिवारों में दिवंगत व्यक्ति काअंतिम संस्कार परंपरागत रूप से परिवार के पुरुष उत्तराधिकारी द्वारा किया जाता है।