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पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता शुभेंद्र के काफिले पर हमला, टीएमसी कार्यकर्ताओं ने कार के शीशे तोड़

By Satish Singh 
Updated Date

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में लगातार राजनीति गर्मा रही है। कभी भाषा को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा पर हमला बोल रही है तो कभी भाजपा (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर ममता सरकार को घेर रही है। मंगलवार को राजनीति तनाव गहरा हो गया जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के समर्थकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेंदु अधिकारी को प्रदर्शनकारियों ने सिर्फ काले झंडे ही नहीं दिखाए बल्कि अधिकारी के काफिले के गुजरने के बाद उनके मार्ग में 19 स्थानों पर सड़क को गोबर और पानी से शुद्ध किया। यह प्रतीकात्मक विरोध दर्शाता है कि टीएमसी समर्थकों ने अधिकारी की उपस्थिति को अपवित्रता के रूप में देखा।
वहीं भाजपा ने टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर काले झंडे दिखाने के साथ—साथ शूभेंद्र अधिकारी पर हमला करने का अरोप लगाया है।

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बता दे कि शुभेंदु अधिकारी कूचबिहार पहुंचे तो कुछ प्रदर्शनकारियों ने उनके वाहन पर हमला किया। कुछ लोगों ने बांस की लाठियों से उनकी कार की खिड़कियों पर प्रहार किया। अधिकारी के काफिले में शामिल पुलिस एस्कॉर्ट वाली कार के शीशे भी क्षतिग्रस्त हो गए। हालांकि, टीएमसी ने इन आरोपों को पूर्व नियोजित नाटक बताया है।

स्थानीय मुद्दे पर विरोध करने कूचबिहार गए थे शुभेंद्र

शुभेंदु अधिकारी उत्तर बंगाल के इस जिले में भाजपा द्वारा एक स्थानीय मुद्दे पर आयोजित विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने पहुंचे थे। जैसे ही उनका काफिला खगराबाड़ी चौराहे से गुजर रहा था, तृणमूल के झंडों से लैस भीड़ ने जूते और नारों के साथ विरोध किया। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के जरिए एनआरसी जैसे नागरिकता परीक्षण की शुरुआत करने का प्रयास कर रही है। पार्टी का कहना है कि यह प्रक्रिया अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों, को निशाना बनाने के लिए की जा रही है। एनआरसी और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 से ही विवाद का कारण रहे हैं। सीएए के विरोधियों का कहना है कि यह मुसलमानों की नागरिकता पर सवाल उठाने का एक माध्यम है, जबकि केंद्र सरकार इस दावे को नकारती रही है। इसी संदर्भ में तृणमूल को SIR प्रक्रिया में भाजपा की मंशा पर संदेह है।

भाजपा पूरे देश में लागू करना चाहती है SIR

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भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी और उनके सहयोगी देशभर में बिहार जैसी SIR प्रक्रिया लागू करने की मांग कर रहे हैं। अधिकारी का दावा है कि अकेले पश्चिम बंगाल में एक करोड़ से अधिक अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं, जिन्हें चिन्हित करना जरूरी है।

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