लखनऊ। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने फिर एक बार पाला बदलकर साइकिल की सवारी कर सकते हैं। अपने तीन समर्थक विधायकों के साथ वह बीजेपी से त्यागपत्र दे चुके हैं। स्वामी प्रसाद मौर्या पाला बदलना बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। मौर्या के पाला बदलने के बाद शायद ही बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व उन्हें वापस बुला पाए, लेकिन अगर अपने समर्थकों के लिए कुछ सीटें बढ़ाने के लिए ऐसा किया है तो हो सकता है बातचीत से मसला हल हो जाए।
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इसी दोहरी संभावना के बीच बीजेपी के कुछ बड़े नेता उत्तर प्रदेश के अति पिछड़ों के सबसे कद्दावर नेता जन अधिकार पार्टी के संस्थापक बाबू सिंह कुशवाहा से संपर्क साध रहे हैं। अगर बीजेपी मौर्य को वापस लाने के लिए नहीं मना पायी, तो कुशवाहा को मनाने के लिए बीजेपी पूरी ऊर्जा के साथ लग जायेगी। गठबंधन के लिए कुछ शर्तों पर जरूर तैयार हो जाएगी। पिछड़ों के हक की आवाज उठाने वाले और जमीन पर कार्य करने वाले नेता बाबू सिंह कुशवाहा भी अति पिछड़ों की हिस्सेदारी व मान सम्मान को लेकर बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं।
भागीदारी संकल्प मोर्चा गैर यादव पिछड़ी जातियों का एक बहुत बड़ा नेतृत्व बन कर उभरा था। जो यूपी में आगामी सत्ता के लिए विकल्प के रूप में अंकुरित हो रहा था। जिसका नेतृत्व बाबू सिंह कुशवाहा कर रहे थे, लेकिन अपने अपने स्वार्थ के चलते कई घटक दल सपा के साथ कुछ ही सीटों के लिए समझौता कर लिये। इधर बाबू सिंह कुशवाहा अतिपिछड़ों के हक के लिए अकेले ही बिगुल बजा रहे है। कुशवाहा, मौर्य, शाक्य और सैनी समाज को सर्वाधिक जागरूक करने वाले तथा राजनीतिक हिस्सेदार बनाने वाले बसपा के पूर्व कद्दावर नेता बाबू सिंह कुशवाहा की अपने समाज पर सर्वाधिक पकड़ है। यह सर्वविदित है।
बीजेपी अगर बाबू सिंह कुशवाहा को अपने पाले में लाने में सफल होती है तो भाजपा सपा के नहले पर दहला मार सकती है। हालांकि अभी भी राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा कहना बहुत जल्दबाजी होगी।
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