नई दिल्ली। देश में फैल रहे ब्लैक फंगस को लेकर एम्स के डॉक्टर ने बड़ी बात कही है। एम्स के डॉक्टर और प्रोफेसर निखिल टंडन ने कहा कि ब्लैक फंगस हवा के जरिए भी फैल सकता है ,लेकिन डरने की कोई बात नहीं है। जब तक आपका शरीर इसके खिलाफ लड़ सकता है। उन्होंने आगे कहा कि म्यूकर फेफड़ों तक भी फैल सकता है ,लेकिन इसकी संभावनाएं बहुत कम हैं।
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कोरोना के साथ-साथ अब ब्लैक फंगस के मामले भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। लोगों के मन में इस लेकर एक डर पैदा होने लगा है। हालांकि डरने की जगह इसके बारे में ज्यादा जागरुक होने की जरूरत है। मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट के MD और प्रसिद्ध कार्डियोवास्कुलर थोरेसिक सर्जन रमाकांत पांडा ने ब्लैक फंगस के बारे में विस्तार से बताया है कि ये कैसे होता है? इससे बचाव के लिए क्या तरीके अपनाए जा सकते हैं।
डॉक्टर पांडा का कहना है कि ब्लैंक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है। भारत में कई लोग यौगिक जलनेति (पानी से नाक की सफाई) करते हैं। इस अभ्यास में ज्यादातर लोग पानी की सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं। काफी साल पहले गंदे पानी से जलनेति करने की वजह से ब्लैंक फंगस के मामले सामने आते थे। आइए जानते हैं कि ब्लैक फंगस क्या होता है?
ये एक दुर्लभ संक्रमण है जिसे म्यूकोरमाइकोसिस भी कहा जाता है। ये Covid-19 के मरीजों या फिर ठीक हो चुके मरीजों में खतरनाक साबित हो रहा है। अगर समय पर ध्यान ना दिया गया तो 50-80 फीसद मरीजों की इससे मौत भी हो सकती है। ये एक फंगल इंफेक्शन है जो खासतौर से उन लोगों को संक्रमित करता है जो किसी न किसी बीमारी कि वजह दवाओं पर हैं। इसकी वजह से उनमें रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे लोगों में हवा के जरिए साइनस या फेफड़ों में संक्रमण फैल जाता है।
इसका लक्षण इस पर निर्भर करता है कि ये शरीर के किस हिस्से में फैल रहा है। हालांकि आमतौर पर ये साइनस, फेफड़ों और दिमाग में फैलता है। इसके आम लक्षण नाक का बंद हो जाना, नाक की ऊपरी परत पर पपड़ी जम जाना, नाक की स्किन काली पड़ जाना है। इसके अलावा आंखों में दर्द और धुंधला दिखाई देना भी इसके लक्षण हैं।