Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. खेल
  3. बॉक्सिंग के कोच ओपी भारद्वाज का निधन जिन्हे मिला था, मुक्केबाजी में पहला द्रोणाचार्य अवॉर्ड

बॉक्सिंग के कोच ओपी भारद्वाज का निधन जिन्हे मिला था, मुक्केबाजी में पहला द्रोणाचार्य अवॉर्ड

By प्रीति कुमारी 
Updated Date

भारतीय बॉक्सिंग जगत के लिए बुरी खबर है। इस खेल में पहला द्रोणाचार्य अवॉर्ड हासिल करने वाले कोच ओपी भारद्वाज( OP Bhardwaj Dies) का लंबी बीमारी के कारण शुक्रवार को नधन हो गय। वो 82 साल के थे। उनकी पत्नी संतोष की भी 10 दिन पहले ही बीमारी के कारण मौत हो गई थी। पूर्व मुक्केबाजी कोच और भारद्वाज के पारिवारिक मित्र टीएल गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों के कारण ओपी भारद्वाज पिछले दिनों से काफी बीमार थे। और अस्पताल में भर्ती थे. पत्नी के निधन से भी उन्हें आघात पहुंचा था।

पढ़ें :- Robin Uthappa: टीम इंडिया का स्टार विकेटकीपर धोखाधड़ी के आरोपों में फंसा, जारी हुआ अरेस्ट वारंट

ओपी भारद्वाज को 1985 में द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला था 

भारद्वाज को 1985 में बालचंद्र भास्कर भागवत (कुश्ती) और ओएम नांबियार (एथलेटिक्स) के साथ कोचिंग के सबसे बड़े द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 2008 में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को भी दो महीने तक मुक्केबाजी के गुर सिखाए थे। भारद्वाज 1968 से 1989 तक भारतीय राष्ट्रीय मुक्केबाजी टीम के कोच थे। भारद्वाज पाटियाला के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (NIS) में पहले चीफ इंस्ट्रक्टर थे। पूर्व मुक्केबाजी कोच और भारद्वाज के पारिवारिक मित्र टीएल गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों के कारण ओपी भारद्वाज पिछले दिनों से काफी बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे। पत्नी के निधन से भी उन्हें आघात पहुंचा था बॉक्सिंग के पूर्व नेशनल कोच जीएस संधू ने भी ओपी भारद्वाज के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि मैं एनआईसी पटियाला में उनके शुरुआती छात्रों में से एक था।

जीएस संधू ने कहा की भारद्वाज जी से बड़ी गहरी दोस्ती थी। मैं छात्र रहने के साथ ही उनके साथ काम भी कर चुका था। उन्होंने देश में बॉक्सिंग की नींव रखी थी। वो ट्रेनिंग के दौरान खड़े होकर सिर्फ निर्देश नहीं देते थे। वो हमेशा खिलाड़ियों की मदद के लिए तैयार रहते थ। वो ट्रेनिंग के दौरान खड़े होकर सिर्फ निर्देश नहीं देते थे, बल्कि मुक्केबाजों के साथ खुद दौड़ते थ। ये खाश गुण था उनमे , जिसे मैंने सीखा था।

पढ़ें :- Shreyas Iyer ने विजय हजारे ट्रॉफी में बल्ले से मचाई तबाही; कर्नाटक के खिलाफ 55 गेंदों में जड़ दिये 114 रन
Advertisement