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मार्च 2023 तक China में आ सकती हैं कोराना की तीसरी लहर, 90 फीसदी लोगों को लगे टीके नहीं है कारगर : डॉ. वू जुन्यो

By संतोष सिंह 
Updated Date

Covid in China: चीन के महामारी विशेषज्ञ डॉ. वू जुन्यो *Epidemiologist of China Dr. Wu Junyo) ने बताया कि कोरोना संक्रमण अगले साल मार्च 2023 के मध्य तक तेजी से बढ़ेगा। इन तीन माह में तीन लहरों से पूरा देश प्रभावित होगा। डॉ. जुन्यो ने बताया कि 21 जनवरी से चीन में सप्ताह भर का चीनी नव वर्ष समारोह (Chinese New Year celebration) चलेगा। लोग छुट्टियां बिताने परिवार के साथ यात्रा करेंगे।

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कोरोना  की तीसरी लहर (The third wave of Corona) फरवरी अंत से मार्च के मध्य तक आ सकती है क्योंकि छुट्टी बिताने के बाद लोग काम पर लौटेंगे। डॉ. वू जुन्यो का यह बयान अमेरिका के एक प्रतिष्ठित शोध संस्थान की इस सप्ताह आई एक रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें दावा किया गया था कि 2023 में कोविड संक्रमण से चीन में 10 लाख लोगों की मौत की आशंका है।

इस बीच, चीन सरकार ने देश में चले विरोध प्रदर्शनों के दबाव में शून्य-कोविड नीति (Zero-Covid policy) में छूट देने के बाद 7 दिसंबर से अब तक मौत का पहली बार विवरण जारी किया है। जबकि वास्तविकता यह है कि चीनी कब्रिस्तान में मृतक संख्या बढ़ती जा रही है। बता दें, स्वास्थ्य प्राधिकारी सिर्फ उन्हीं लोगों को कोविड-19 मृतक सूची में जोड़ते हैं जिनकी सीधे संक्रमण की वजह से मौत हुई और उन्हें मधुमेह व दिल की बीमारी नहीं थी।

90 फीसदी लोगों को लगे टीके भी हुए फेल

चीन ने बताया है कि उसकी 90 फीसदी से अधिक आबादी का पूर्ण टीकाकरण हो गया है। हालांकि, 80 साल और उससे अधिक उम्र के आधे से कम ही लोगों को वैक्सीन की तीनों खुराक मिली है। जबकि बुजुर्गों को कोरोना के गंभीर लक्षणों से पीड़ित होने की आशंकाएं अधिक होती हैं। चीन ने कोविड के अपने टीके विकसित किए हैं। दावा है कि ये टीके दुनिया के बाकी देशों में उपयोग किए जाने वाले एमआरएनए टीकों की तुलना में कम प्रभावी हैं। ऐसे में फिलहाल बीजिंग और देश के अन्य शहरों के अस्पताल ताजा लहर से मुकाबला कर रहे हैं।

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बुजुर्गों में बढ़ा संक्रमण का डर

शून्य-कोविड नीति छोड़ने के बाद से चीन में नए मामलों का विस्फोट हुआ है। कई शहरों में बड़ी संख्या में लोग अपने घरों में अलग-थलग रह रहे हैं। चिंता जताई जा रही है कि चीन के स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि का सामना करने के लिए तैयार नहीं है। खासकर बुजुर्गों के मामले में, जिनमें से कई लोगों का अभी तक पूर्ण टीकाकरण तक नहीं किया गया है।

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