लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU) के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। विनय पाठक के संरक्षण और अनुमति से करोड़ों रुपये के कंप्यूटर समेत अन्य सामान फर्जी तरीके से खरीदने के आरोप हैं। इस मामले में अब विनय पाठक पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा यूपी को पत्र लिखकर इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कालेज लखनऊ के क्रय ऑफिसर द्वारा की गई करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमतता व अभिलेखों में कूटरचित मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
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आरोप है कि, आईईटी कॉलेज के क्रय अधिकारी डॉ. प्रदीप बाजपेई द्वारा वर्ष 2021—2022 में विश्व बैंक द्वारा अनुदादित टेकिप योजना में अभिलेखों में हेराफेरी कर पूर्व कुलपति विनय पाठक के साथ मिलकर करोड़ों रुपये के कंप्यूटर, सॉफ्टवेर, लैब उपकरण समेत अन्य सामान खरीदे गए थे। इस क्रय में वित्तीय नियमों की जमकर अनदेखी की गई थी। इसके साथ ही अभिलेखों में कूटरचित दस्तावेज भी लगाए गए थे। इसकी शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, शिक्षामंत्री, राज्यपाल, उत्तर प्रदेश शासन, प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा समेत अन्य लोगों से की गयी थी।
इस मामले की जांच के लिए शिक्षा मंत्रालय ने स्पेशल प्रोक्योरमेंट ऑडिट टीम का गठन किया गया था। स्पेशल प्रोक्योरमेंट ऑडिट टीम (सचिन एंड एसोसिएट्स फर्म) द्वारा अपनी ऑडिट रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय ने 28 दिसंबर 2021 को सौंपी थी। उक्त रिपोर्ट में मात्र 04 पैकेज का निरिक्षण किया गया था जिसमें 55,88,610 रुपये का कंप्यूटर क्रय, 49,23,290 रुपये सॉफ्टवेर क्रय व 30,02,910 रुपये लैब उपकरण के क्रय शामिल थे। स्पेशल प्रोक्योरमेंट ऑडिट टीम द्वारा संस्थान के क्रय अधिकारी द्वारा उपरोक्त क्रय प्रक्रिया में की गई गंभीर वित्तीय अनियमता के आरोपों को सत्य माना है। अपनी जांच रिपोर्ट में उक्त क्रय को असंतोषजनक, वित्त्य नियमो की अनदेखी, कूटरचित माना है।
बताया जा रहा है कि, उक्त गंभीर आरोपों के मद्देनजर शिक्षा मंत्रालय ने आई ई टी कॉलेज के उपरोक्त क्रय के भुगतान रोक दिए गए। इसके साथ ही स्पेशल प्रोक्योरमेंट ऑडिट टीम की जांच रिपोर्ट की सत्यता को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय के प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा को पत्र संख्या TEQIP-III/Proc/2022/289 10 जनवरी 2022 द्वारा संस्थान के क्रय अधिकारी प्रदीप बाजपाई के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए निर्देशित किया गया। प्रदीप बाजपेई की नियुक्ति भी प्रो. विनय पाठक ने अहर्ता को दरकिनार करते हुए की है।
बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (टेकिप प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश शासन द्वारा नामित इतर फर्म संजीव श्रीराम वर्मा एंड कंपनी चार्टेड अकाउंटेंट द्वारा जब क्रयावाधि एक अप्रैल 2021 से 30 सितंबर 2021 समय दौरान इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज लखनऊ द्वारा किये गए क्रयों व हुए भुगतान का परीक्षण किया गया। तब फर्म द्वारा क्रय प्रक्रिया में गंभीर चूक, कूटरचना, छल द्वारा रचित अभिलेख को पाया गया तथा उक्त के दृष्टिगत 26,00,000 रुपये का भुगतान की वापसी हेतु निर्देशित किया गया।
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उपरोक्त क्रय भी वर्तमान क्रय अधिकारी प्रदीप बाजपाई ने किया था। शासन ने नियुक्ति वित्त एवं लेखा अधिकारी द्वारा भी एकेटीयू पूर्व कुलपति विनय पाठक और आईईटी अधिकारियों की साठगांठ से हो रहे भ्रस्टाचार के बारे में पत्र लिखा है। राजभवन लखनऊ और उत्तर प्रदेश शासन के प्राविधिक शिक्षा विभाग ने विनय पाठक के सभी भ्रष्टाचार को भी दरकिनार करते हुए एकेटीयू के कार्यपरिषद का सदस्य नियुक्त कर दिया है जो कि गंभीर बात है।
बता दें कि पूर्व में भी समय समय पर डॉ. प्रदीप बाजपाई क्रय अधिकारी एवं एकेटीयू के पूर्व कुलपति की भ्रष्टाचार के द्वारा किये गए निर्माण ,अनुरक्षण कार्यो व क्रय आदि में करोड़ों रुपये के गबन, अधोमानक कार्य कराने व अपनी बोलेरो गाड़ी को संस्थान में लगाकर लगभग 20 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान आदि कराने के गंभीर आरोप लगे थे, जिनकी जांच अभी तक लंबित है।