Chaitra Navratri 2023 : नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के स्वरूप और नाम जपने का उत्सव है। मां के चमत्कार का गुणगान और रसपान करने का ये सुयोग्य अवसर है। भक्त की तपस्या देखकर देवी मां भक्तों पर प्रसन्न होती है। मां के नामों में रहस्य और चमत्कार छिपा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, मां के नामों का जप करने से अद्भुत शक्तियों का सृजन होता है। इस भवसागर से पार उतरने के लिए मां दुर्गा का आर्शिवाद आवश्यक है। देवी दुर्गा के सबसे ज्यादा प्रचलित नाम इस प्रकार हैं। महिषासुर मर्दिनी देवी दुर्गा जगदंबे ,विंध्यवासिनी ,शेरावाली मां शाकंभरी, शैलपुत्री, भद्रकाली और चामुंडा। आइये जानते मां के नियमों के महत्व के बारे में।
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महिषासुरमर्दिनी
पुराण के अनुसार जब दैत्य महिषासुर का आतंक सभी तीनों लोकों में व्याप्त था तब सभी देवी देवता मिलाकर महिषासुर के आतंक से छुटकारा पाने और उसका संहार करने लिए देवी दुर्गा को प्रकट किया था तब देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ 9 दिनों तक युद्ध करते हुए उसका वध कर दिया महिषासुर के वध के कारण इन्हें महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है।
मां दुर्गा
मुश्किल से मुश्किल काम करने की वजह से देवी का नाम दुर्गा पड़ा। दुर्गा यानी दुर्गम जिस पर विजय हासिल करना दुर्गम हो। दुष्टों का नाश करने के कारण इन्हें दुर्गा नाम पड़ा।
जगदंबा मां
मां दुर्गा का एक नाम जगदंबा भी है। मां जगदंबा को पूरे संसार और ब्रह्मांड की माता माना जाता है। इस कारण से इनका नाम जगदंबा मां पड़ा।
विंध्यवासिनी
मां दुर्गा का एक प्रचलित नाम विंध्यवासिनी भी है। पुराणों के अनुसार देवी का वास विंध्याचल पर्वत पर माना जाता है। ऐसे में विंध्यवासिनी के नाम से इनकी पूजा उपासना की जाती है।
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मां शेरावाली
शेर की सवारी करने के कारण देवी मां को शेरावाली भी कहा जाता है। शेर की सवारी करते हुए ही मां ने राक्षसों का वध किया था।
मां शाकंभरी
मां का एक प्रचलित नाम शाकंभरी देवी भी है। शास्त्रों के अनुसार जब एक बार धरती पर अकाल पड़ा था तब इस आपदा को खत्म करने के लिए सभी वनस्पतियों और शाक-सब्जियों के साथ अवतरित हुई थीं। माता के इस स्वरूप को शाकंभरी ने नाम से जाना जाता है।
शैलपुत्री
शैल को पर्वत भी कहते हैं। पर्वतराज हिमालय की संतान होने के कारण इन्हें देवी शैलपुत्री भी कहा जाता है।
भद्रकाली
मां दुर्गा को भद्रकाली भी कहते हैं। मां काली के भयानक स्वरूप को भद्रकाली कहते हैं। मां के इस स्वरूप में इनका वर्ण काले रंग का है।
चामुंडा
देवी ने चंड और मुंड नाम के दो दैत्यों का संहार किया था, जिसकी वजह से देवी का एक नाम चामुंडा भी पड़ा।