Chandrayaan-3 Mission: भारत के चंद्रयान-3 मिशन के रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम को 2 सितंबर को स्लीप मोड पर भेजा गया था। जिसके बाद 22 सितंबर को उनको फिर से एक्टिव होने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इसरो (ISRO) की ओर से इन्हें जगाने के लिए सिंगल भेजे जा रहे हैं जो रिसीव नहीं हो रहा है। जिसके बाद इस मिशन अगला पड़वा को लेकर संशय बरकरार है।
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दरअसल, चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। ऐसे में चन्द्रमा के जिस क्षेत्र में चंद्रयान-3 लैंडिंग कराई गयी थी, वहां रात होने पर 2 सितंबर को विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्विच ऑफ कर दिया था, ताकि इसमें बैटरी बाकी रहे। इससे पहले करीब 11 दिन तक प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह से खनिजों, भूकंपीय गतिविधियों और प्लाज्मा के बारे में कई अहम जानकारियां इसरो को भेजीं थीं।
वहीं, 14 दिन बाद 21 सितंबर को चांद पर सुबह हो गई और सूर्य की रोशनी चांद पर वापस पहुंच गई है। जिसके बाद दोबारा से रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम दोबारा एक्टिव करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन सिग्नल न मिलने के कारण रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम अभी जाग नहीं पाये हैं। जिसके बाद इसरो की आगे की योजना को लेकर संशय की स्थिति है। अब दोबारा 23 सितंबर को प्रयास किया जाएगा।
एक्टिव नहीं हुए तो ये होगा अगला कदम
इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य पूरा हो चुका है। अब प्रयास ये हैं कि विक्रम और प्रज्ञान को एक बार फिर जगाकर और अधिक जानकारियां जुटाई जाएं। अगर लैंडर और रोवर एक्टिव हो गए तो वे पहले की तरह ही चंद्रमा से अतिरिक्त जानकारियां जुटाएंगे और पृथ्वी पर भेजेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो वे भारत के राजदूत के रूप में वहां हमेशा के लिए पड़े रहेंगे।