Chaturmas 2024 : चातुर्मास एक तप है। हिंदी पंचांग के अनुसार,चातुर्मास व्रत आषाढ़ मास(Chaturmas Vrat Ashad month) में देव शयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) से शुरू होता है और कार्तिक माह में उत्तरायण एकादशी (kartik maas mein uttarayan ekadashi) पर समाप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव को सौंप दिया जाता हैं।
पढ़ें :- 7 दिसंबर 2025 का राशिफल : तुला राशि वालों को उम्मीद से ज्यादा फायदा होगा, मकर और कुंभ राशि वालों की इनकम बढ़ सकती है, जानें मेष से मीन तक राशिफल
चातुर्मास के चार महीनों में सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि प्रकार के मांगलिक कार्य रुक जाते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निद्रा से जागने पर चातुर्मास समाप्त हो जाता है।
इस साल देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा। देवशयनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु पूरे 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। इसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन श्री हरि योग निद्रा से बाहर आएंगे। इस साल देवउठनी एकादशी 12 नवंबर, 2024 को मनाई जाएगी।
1.पूरे चातुर्मास के समय में व्रती को कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है।
2.पूरे चातुर्मास में ब्रह्मचर्य के नियमों का खास पालन करना चाहिए।
3. चातुर्मास में एक समय भोजन करने का नियम है। इस दौरान तप, जप साधना, योग आदि करना चाहिए।
4. चातुर्मास के दौरान क्रोध करने से बचना चाहिए।
5.चातुर्मास अवधि के दौरान भक्त लहसुन और प्याज में तैयार भोजन ग्रहण नहीं करते। भक्तगण इन चार महीनों के दौरान रामायण, गीता और भागवत पुराण के रूप में धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने में गुणवत्ता समय बिताते हैं।