Chhath Puja 2023 : लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत आज यानि 17 नवंबर से हो गई है। चार दिवसीय यह पर्व 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सम्पन्न होगा। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, छठ पूजा के दिन भगवान सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया का पूजन किया जाता है। छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और फिर अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होता है। अगर आप भी छठ महापर्व मना रहे हैं तो पूजा के दौरान छठ मैया की आरती अवश्य करें। इससे छठ मैया प्रसन्न होती हैं और हर मनोकामना पूरी करती हैं।
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छठ मईया की आरती
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥