Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. Chhath Puja 2024 : छठी मैया की इस आरती से करें पूजा, जय छठी मईया, ऊ जे केरवा…

Chhath Puja 2024 : छठी मैया की इस आरती से करें पूजा, जय छठी मईया, ऊ जे केरवा…

By संतोष सिंह 
Updated Date

पटना। देश में साल 05 नवंबर से छठ पूजा (Chhath Puja) के पर्व की शुरुआत हो चुकी है, जो 8 नवंबर तक चलेगा। चार दिनों तक चलने वाले इस उत्सव को मुख्य रूप से बिहार, झारखंड समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस दौरान महिलाएं संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका पारण सप्तमी तिथि के दिन किया जाता है।

पढ़ें :- Chhath Puja: महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ कल से शुरू, महिलाएं रखेंगी 36 घंटे का निर्जला व्रत

हिंदू धर्म में छठ पूजा (Chhath Puja) के उपवास को सभी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि यह लगभग 36 घंटों तक रखने वाला निर्जला व्रत है। इस दौरान साफ-सफाई से लेकर पूजा-पाठ के कई नियमों का खास ध्यान रखा जाता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष अतिगण्ड योग और ज्येष्ठा नक्षत्र के साथ छठ महापर्व (Chhath Mahaparva) की शुरुआत हो चुकी है। इस शुभ योग में छठी मैया (Chhathi Maiya)  का नाम लेने और आरती करने से साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। आप नहाय-खाय से लेकर छठ के आखिरी दिन तक भी यह आरती कर सकते हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं।

छठ मईया की आरती

जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

Advertisement