लखनऊ। विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा सरकार के कार्यकाल से अपने कार्यकाल की तुलना करते हुए विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। मुख्यमंत्री ने एक एक कर प्रदेश सरकार की ओर से चल रही तमाम विकासपरक योजनाओं की चर्चा करते हुए सपा शासन के दौरान अनियमितताओं और लेट लतीफी को जमकर कोसा। उन्होंने कहा कि जो शूल आपकी सरकार में बोया गया था, उन्हें दुरुस्त करते हुए उनपर रोलर और बुलडोजर चला चला कर के प्रदेश वासियों के लिए फूल उगाने का कार्य हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसकी प्रवृत्ति शूल पैदा करने की होगी उनसे फूल की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
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सपा सरकार में किसान कर रहे थे आत्महत्या
सीएम योगी ने 2012 से लेकर 2017 तक सपा शासन से अपने 6 साल की तुलना करते हुए कहा कि 2017 से पहले प्रदेश में चीनी मिलें या तो बंद हो रही थीं या औने पौने दामों पर बिक रही थीं। उस दौर में प्रदेश के किसान आत्महत्या कर रहे थे। फसल खरीद में दलालों का वर्चस्व था। कृषकों के लिए दूसरी मंडी में उत्पाद विक्रय पर प्रतिबंध था। मंडी के बाहर विक्रय पर भी प्रतिबंध था। मंडी शुल्क दो फीसदी थी, मगर आज अन्नदाता किसान सरकार के शीर्ष प्राथमिकता में है। हमने पहली ही बैठक में 36 हजार करोड़ के कर्जमाफी के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया, जिससे 86 लाख किसानों को लाभ मिला। आज स्टेट जीडीपी में एग्रीकल्चर का योगदान 26 फीसदी है, जबकि 2016-17 की तुलना में आज कृषि विकास की दर तीन गुना बढ़ी है।
यूपी में बेहतर कोऑर्डिनेशन के माध्यम से रिजल्ट ओरिएंटेड कार्य हो रहा
उन्होंने गौ आधारित प्राकृतिक कृषि, कानून व्यवस्था, सिंचाई, गंगा स्वच्छता, प्रयागराज कुंभ, शिक्षा, खेल, आईटीआई, चिकित्सा स्वास्थ्य, विद्युत, गड्ढा मुक्ति अभियान, एक्सप्रेस वे, कनेक्टिविटी, ग्राम्य विकास, घरौनी योजना देश की चर्चा करते हुए सपा शासन और अपनी सरकार के बीच तुलनात्मक रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने हमेशा चौधरी चरण सिंह और राम मनोहर लोहिया के नाम पर सियासत की मगर कभी उनकी विचारधार पर कार्य नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में बेहतर कोऑर्डिनेशन के माध्यम से रिजल्ट ओरिएंटेड कार्य हो रहा है। आज प्रदेश में प्रत्येक योजना के लिए पर्याप्त धन है, फिजूल खर्ची भी नहीं है। मुख्यमंत्री ने सैफई महोत्सव में का उदाहरण रखते हुए कहा कि तब सैफई महोत्सव के लिए 1,234 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। मगर इन्वेस्टर्स समिट में मात्र 21 करोड़ रुपए खर्च किया है।