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लोंगेवाला युद्ध के महानायक कर्नल धर्मवीर का निधन, 120 सैनिकों की टुकड़ी ने 2500 पाक सैनिकों को चटाई थी धूल

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। पाकिस्तान के खिलाफ 1971 में लड़े गए लोंगेवाला युद्ध के महानायक कर्नल धर्मवीर का 16 मई को गुरुग्राम में निधन हो गया है। उन्होंने 1992-94 के बीच 23 पंजाब बटालियन की कमान संभाली थी।

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कर्नल धरमवीर पहले सैनिक थे, जिन्होंने सेना को पाकिस्तान के हमले की जानकारी तत्कालीन मेजर चांदपुरी को दी थी। कर्नल धरमवीर ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान की योजना के बारे में सेना को सचेत किया, जिस पर आकाओं को विश्वास नहीं हुआ। हालांकि, उन्होंने सीमा की ओर आ रहे टैंकों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनी।

उस समय लेफ्टिनेंट के रूप में तैनात धर्मवीर के नेतृत्व में ही भारतीय सेना की एक छोटी सी टुकड़ी जैसलमेर के लोंगेवाला चेकपोस्ट की अग्रिम चौकी पर तैनात थी। रात करीब 12 बजे 2500 सैनिकों और 65 टैंकों के साथ पाकिस्तान फौज ने इसी चेक पोस्ट के रास्ते नई दिल्ली जाने की खौफनाक साजिश रची थी, लेकिन मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में और लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुवाई में छोटी सी भारतीय टुकड़ी ने पाकिस्तानी फौज की नानी याद दिला दी।

रक्षा मंत्रालय के पीआआरओ ने बताया कि सोमवार के इस युद्ध के हीरो कर्नल धर्मवीर का गुड़गांव स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। बता दें कि 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच लोंगेवाला युद्ध पर सुपरहिट फिल्म बॉर्डर बनी है।

120 साथियों के साथ दो हजार पाकिस्तानी सेना का किया मुकाबला

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ब्रिगेडियर चांदपुरी के नेतृत्व में जैसलमेर के लोंगेवाला चेकपोस्ट पर सिर्फ अपने 120 साथियों के साथ पाकिस्तान के 2000 से अधिक सैनिकों का मुकाबला किया था। करीब 12 बजे रात में पाकिस्तान ने लोंगेवाला चेकपोस्ट पर 65 टैंकों के साथ हमला करना शुरू कर दिया। भारत की तरफ से कोई अतिरिक्त तैयारी नहीं की गई थी। सिर्फ 120 सैनिकों को ही पाकिस्तान के 2500 सैनिकों के साथ मुकाबला करना था। क्योंकि रात को वायुसेना मदद करने में असमर्थ थी। लेफ्टिनेंट धर्मवीर के नेतृत्व में जवानों ने पूरी रात अपने अदम्य साहस के साथ पाकिस्तानी सैनिकों को रोके रखा। उसके बाद जो कुछ हुआ वह इतिहास है। पाकिस्तान सैनिकों और टैंकों को सिर्फ 120 सैनिकों ने नेस्तनाबूत कर दिया। रही सही कसर तड़के सुबह वायुसेना के जवानों ने कर दिखाया।

4 दिसंबर की रात क्या हुआ था
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय 4 दिसंबर की रात जैसलमेर के लोंगेवाला चेकपोस्ट पर ज्यादा जवानों की तैनाती नहीं थी। लेफ्टिनेंट धर्मवीर की अगुवाई में वहां पेट्रोलिंग टीम गश्त कर रही थी। एक टीवी चैनल से बात करते हुए लेफ्टिनेंट धर्मवीर ने बताया था कि रात के 10 बजे राशन लेकर सिर्फ 25 जवानों के साथ गश्त पर जा रहे थे। तभी पाकिस्तान की तरफ से कुछ हरकतें होनी शुरू हुई। लेफ्टिनेंट धर्मवीर ने तुरंत ब्रिगेडियर चांदपुरी को खबर दी। उधर से खबर आई कि डरने की कोई जरूरत नहीं, डटकर मुकाबला करो। इसके बाद लेफ्टिनेंट धर्मवीर जब आगे बढ़े तो दंग रह गए। पाकिस्तान की ओर से 65 टैंक और 2500 जवान आगे बढ़ रहे थे।

यह थी पाकिस्तान की योजना

बांग्लादेश यानी उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में बुरी तरह मात खाने के बाद पाकिस्तान ने लोंगेवाला के रास्ते नई दिल्ली पहुंचने का खौफनाक साजिश रचा थी। इसी साजिश के तहत उसने 2500 जवानों के साथ 65 टैंकों और 1 मोबाइल इंफेंट्री ब्रिगेड के साथ जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट की ओर रवाना किया। उस समय मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में कुल 120 जवानों का एक दस्ता वहां तैनात था। उनके पास मामूली हथियार और कुछ तोपें थी। इसके अतिरिक्त बीएसएफ का एक ऊंट दस्ता भी था। लेफ्टिनेंट धर्मवीर ने जब मेजर कुलदीप चांदपुरी को इसकी सूचना दी तो उनके सामने दो विकल्प थे।

छोटी सी टुकड़ी के पास सिर्फ दो विकल्प
पहला चेकपोस्ट छोड़कर पीछे हट जाना और दूसरा डटकर मुकाबला करना। चांदपुरी ने डटकर मुकाबले का निर्देश दिया। दुश्मन के टैंकों और गाड़ियों का 20 किलोमीटर का लंबा काफिला लग गया। महज कुछ जवानों ने ही चेकपोस्ट के सामने एंटी टैंक माइंस की जालें बिछा दी। जब चेकपोस्ट महज 30 मीटर की दूरी पर रह गया तो दुश्मन की ओर से आर्टरी फायरिंग शुरू होने लगी। लेफ्टिनेंट धर्मवीर के नेतृत्व में भारतीय रणबांकुरों ने एंटी टैंक गन से पाकिस्तानी टैंकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। जैसे ही एंटी टैंक माइंस में दुश्मन के टैंक धराशायी होने लगे पाकिस्तानी टैंकें वही रूक गए और जबर्दस्त फायरिंग करने लगे। फिर भी भारतीय जवानों ने पूरी रात उनका डटकर मुकाबला किया।

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लोंगेवाला का युद्ध भारतीय सेना के साहस, शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है। 1971 के युद्ध को 50 साल हो गए। अब धीरे-धीरे इस युद्ध के महानायकों का निधन हो रहा है। लोंगेवाला युद्ध के प्रमुख महानायक ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का 2018 में मोहाली में निधन हो गया था। ब्रिगेडियर चांदपुरी महावीर चक्र से सम्मानित थे।

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