नई दिल्ली। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Assembly Election 2022) में महज 18 सीटें बमुश्किल जीत पाई है। सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस में जल्दी ही बदलावों का दौर शुरू होने जा रहा है। बता दें कि पंजाब के सीएम रहे चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) दोनों सीटों से हार गए, जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को खुद अमृतसर पूर्व सीट से हार गए थे।
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विधानसभा चुनाव (Assembly Election ) नतीजों के बाद सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) सहित सभी प्रदेश अध्यक्षों से इस्तीफा मांग लिया था। इसके बाद अब कांग्रेस चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बीच टकराव के अध्याय का ही पटाक्षेप करना चाहेगी, जिसका खामियाजा कांग्रेस सत्ता गंवा चुकाई है।
इसके बाद कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में 13 सीटों पर जीत हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के विकल्प की तलाश तेज कर दी है। फिलहाल पंजाब के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए स्टेट कमेटी की ओर से भेजे गए नामों में सांसद रवनीत बिट्टू और चौधरी संतोख सिंह शामिल हैं। वहीं गिद्दड़बाहा से विधायक अमरिंदर राजा वड़िंग और सुखजिंदर रंधावा भी इस दौड़ में हैं। हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू पिछले दिनों उन्होंने कांग्रेस के करीब 2 दर्जन नेताओं से मीटिंग कर शक्ति प्रदर्शन की कोशिश की है। पंजाब की राजनीति में वापस लौटे विधायक प्रताप सिंह बाजवा भी इशारों में दावेदारी ठोक चुके हैं।
पंजाब में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी टेंशन गुटबाजी को थामने की है। चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) , सिद्धू और बाजवा मिलकर तीन कोण बनाते हैं। इसके अलावा मनीष तिवारी भी अकसर अलग ही सुर में रहते हैं। ऐसे में पार्टी की चिंता यह है कि किसी ऐसे नेता को कमान दी जाए, जिसकी छत्रछाया में पूरी पार्टी एकजुटता से काम करे। कांग्रेस की कोशिश है कि दो साल बाद लोकसभा चुनाव में इसका नुकसान न हो, इसलिए कांग्रेस सांसदों पर फोकस कर रही है।
दबाव की राजनीति करने में जुटे हुए हैं सिद्धू
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नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) अपनी ही सीट गंवाने के बाद उनके कड़क तेवर बरकरार हैं। कहा जा रहा है कि वह एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनने की मांग हाईकमान से कर रहे हैं। इसके लिए सिद्धू ने हाल ही में पंजाब के 24 नेताओं से मीटिंग की थी। इसमें चुनाव हारे उम्मीदवारों के साथ विधायक सुखपाल खैरा और बलविंदर धालीवाल भी शामिल हुए। सिद्धू खेमे का तर्क है कि चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को सीएम चेहरा बनाते वक्त ही राहुल गांधी को स्पष्ट कर दिया गया था कि हार या जीत के जिम्मेदार सिद्धू नहीं होंगे। इसलिए अब उन्हें पद से हटाना उचित नहीं होगा।