नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी से संक्रमितों की संख्या एक दिन में 90 हजार के करीब पहुंच गई है। कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर आम आदमी चिंता बढ़ गई हैं, लेकिन कोरोना वायरस पर वैज्ञानिकों का कहना है कि मार्च में कोरोना की रफ्तार एक झलक मात्र है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अप्रैल में कोरोना अपने पीक पर होगा और पूरे देश में कोहराम मचाएगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक अप्रैल के बाद एक बार फिर कोरोना के मामले कम होने लगेंगे। बता दें कि 11 राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ शुक्रवार को हुई समीक्षा बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल कोरोना की रफ्तार काफी ज्यादा है। बैठक में बताया गया कि पिछले साल जून में कोरोना की रफ्तार सबसे ज्यादा 5.5 फीसदी थी जबकि इस साल मार्च में ही कोरोना की रफ्तार 6.8 फीसदी दर्ज की गई है।
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देश में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले 11 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सामने आ रहे हैं। महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, केरल, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली तथा हरियाणा में कोरोना की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। पिछले 15 दिनों में इन राज्यों में कोरोना के 90 फीसदी संक्रमण और मौतें दर्ज की गई हैं। कई राज्यों में कोरोना की स्थिति पिछले साल से भी ज्यादा खराब है। बता दें कि पिछले साल सितंबर में कोरोना के मामले 97 हजार को पार कर सके थे, लेकिन इस साल अप्रैल की शुरुआत में भी कोरोना के नए मामलों ने 90 हजार के आंकड़े को छूना शुरू कर दिया है। संक्रमणों की दैनिक वृद्धि दर 5.5 फीसदी है। महाराष्ट्र में कोरेाना के हालात सबसे ज्यादा खराब दिख रहे हैं।
महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 47,827 मामले सामने आए
महाराष्ट्र में शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 47,827 मामले दर्ज किए गए, जो कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से राज्य में संक्रमण के सर्वाधिक मामले हैं। स्वास्थ्य विभाग ने एक बयान में कहा कि संक्रमण के नए मामलों के बाद राज्य में अब तक संक्रमित हुए रोगियों की कुल संख्या 29,04,076 हो गई है। राज्य में शुक्रवार को कोरोना वायरस के 202 रोगियों की मौत के बाद कुल मृतकों की संख्या 55,379 हो गई है।
वैज्ञानिकों ने एक गणितीय मॉडल के जरिए अनुमान लगाया है कि अप्रैल के मध्य में कोरोना की रफ्तार सबसे ज्यादा होगी। अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर देखने को मिलेगी और मई के अंत तक इसमें काफी गिरावट दर्ज की जाएगी। पिछले साल भी इसी तरह के गणितीय मॉडल का इस्तेमाल कर कोरोना के पीक का पता लगाया गया था, जो सही साबित हुआ था।