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विद्युत कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित करें सरकार नहीं तो करेंगे आंदोलन

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमण सम्बन्धित समस्याओं का समाधान न होने और बिजली कर्मियों एवं संविदा श्रमिकों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित न किये जाने पर बुधवार से आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने मंगलवार को कहा कि सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी , संविदा श्रमिक , जूनियर इंजीनियर व अभियंता दो जून से आक्सीजन प्लांटों,अस्पतालों व आम लोगों को बिजली आपूर्ति के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नही करेंगे । राजस्व वसूली , झटपट पोर्टल , वीडियो कांफ्रेंसिंग आदि कार्यों से बिजली कर्मी अपने को विरत रखेंगे मगर व्यापक जनहित में बिजली आपूर्ति बनाये रखी जाएगी।

उन्होंने कहा कि कोरोना से लगभग 253 बिजली कर्मियों की मृत्यु से ऊर्जा निगमों में दहशत का वातावरण है ।संघर्ष समिति ने इतने गंभीर मामले पर ऊर्जा निगम प्रबंधन के संवेदनहीन रवैय्ये की कठोर आलोचना करते हुए पुनः प्रदेश के मुख्य मंत्री और ऊर्जा मंत्री से तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप करने की मांग की है।

संघर्ष समिति ने समस्याओं का समाधान किये जाने के बजाये प्रबंधन की ओर से हो रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों की ओर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्हें पत्र भेजा है। पत्र में लिखा गया है कि विगत 06 अक्टूबर को मंत्रिमंडलीय उपसमिति और संघर्ष समिति के मध्य हुए समझौते में स्पष्ट लिखा है कि आंदोलन के दौरान हुई सभी एफआईआर बिना शर्त वापस ली जाएंगी लेकिन 28 मई को वाराणसी में हुई एफआईआर की विवेचना तेज कर दी गई है जिससे बिजली कर्मियों का गुस्सा बढ़ गया है।

इसके अलावा अभियंता संघ के महासचिव प्रभात सिंह जो मध्यांचल में तैनात थे , का उत्पीड़न की दृष्टि से गऊघाट उपखण्ड में स्थांतरण किया गया और लखनऊ में उपस्थित होते हुए भी उन्हें अनुपस्थिति में कार्यमुक्त कर दिया गया जो नितांत अनुचित और अपमानजनक है।

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संघर्ष समिति ने मांग की है कि आंदोलन के दौरान प्रदेश भर में हुई सभी एफआईआर बिना शर्त वापस ली जाएँ , प्रभात सिंह का स्थान्तरण और अनुपस्थिति दिखाकर की गई रिलीविंग तत्काल निरस्त की जाये। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि अभियंता संघ के चल रहे आंदोलन के कारण किसी भी अभियंता का उत्पीड़न किया गया तो संघर्ष समिति प्रांतव्यापी आंदोलन प्रारम्भ कर देगी।

विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की मांग है कि सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों , अभियंताओं और संविदा श्रमिकों को तत्काल फ्रन्ट लाइन वर्कर घोषित कर सभी बिजली कर्मियों व् संविदा श्रमिकों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर वैक्सीन लगाई जाये और मृत कर्मियों के परिजनों को शीघ्रातिशीघ्र 50 लाख रु के मुआवजा का भुगतान सुनिश्चित किया जाये तथा मृत कर्मियों के आश्रितों को उनकी योग्यतानुसार नौकरी दी जाये।

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