लखनऊ। बसपा अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने शुक्रवार को गठबंधन को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस बात के संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी अब भविष्य में किसी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। मायावती (Mayawati) ने कहा कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव (Haryana Assembly Election) परिणाम और इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं होगा। जबकि, एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन (India Alliance) से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी। मायावती ने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई पोस्ट कर इसकी जानकारी दी।
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1. यूपी सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बीएसपी का वोट गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाने किन्तु उनका वोट बीएसपी को ट्रांसफर कराने की क्षमता उनमें नहीं होने के कारण अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने से पार्टी कैडर को निराशा व उससे होने वाले मूवमेन्ट की हानि को बचाना जरूरी।
— Mayawati (@Mayawati) October 11, 2024
2. इसी संदर्भ में हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम व इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर आज हरियाणा व पंजाब की समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं करने का निर्णय, जबकि भाजपा/एनडीए व कांग्रेस/इण्डिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी।
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मायावती (Mayawati) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘यूपी सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बीएसपी (BSP) का वोट गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाने, किंतु उनका वोट बीएसपी (BSP) को ट्रांसफर कराने की क्षमता उनमें नहीं होने के कारण अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने से पार्टी कैडर को निराशा और उससे होने वाले मूवमेंट की हानि को बचाना जरूरी है। इसी संदर्भ में हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम (Haryana Assembly Election Results) और इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर आज हरियाणा और पंजाब की समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं करने का निर्णय लिया गया है, जबकि एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन (India Alliance) से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी।
3. देश की एकमात्र प्रतिष्ठित अम्बेडकरवादी पार्टी बीएसपी व उसके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के कारवाँ को हर प्रकार से कमजोर करने की चौतरफा जातिवादी कोशिशें लगातार जारी हैं, जिस क्रम में अपना उद्धार स्वंय करने योग्य व शासक वर्ग बनने की प्रक्रिया पहले की तरह ही जारी रखनी जरूरी।
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4. बीएसपी विभिन्न पार्टियों/संगठनों व उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि ’बहुजन समाज’ के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा व सहयोग के बल पर संगठित होकर राजनीतिक शक्ति बनाने व उनको शासक वर्ग बनाने का आन्दोलन है, जिसे अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना अति-हानिकारक।
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एक अन्य पोस्ट में मायावती (Mayawati) ने लिखा कि देश की एकमात्र प्रतिष्ठित अम्बेडकरवादी पार्टी बीएसपी और उसके आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान मूवमेंट के कारवां को हर प्रकार से कमजोर करने की चौतरफा जातिवादी कोशिशें लगातार जारी हैं, जिस क्रम में अपना उद्धार स्वयं करने योग्य और शासक वर्ग बनने की प्रक्रिया पहले की तरह ही जारी रखनी जरूरी।’ आखिर में मायावती (Mayawati) ने लिखा कि ‘बीएसपी विभिन्न पार्टियों व संगठनों व उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि बहुजन समाज के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा और सहयोग के बल पर संगठित होकर राजनीतिक शक्ति बनाने और उनको शासक वर्ग बनाने का आंदोलन है, जिसे अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना अति-हानिकारक।’
हरियाणा में बसपा का नहीं खुला खाता
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बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। जहां भाजपा (BJP)48, कांग्रेस ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, बसपा (BSP) अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। हालांकि, इनेलो ने बसपा के साथ मिलकर दो सीटों पर जीत हासिल की। बसपा (BSP) को कुल 1.82 फीसदी वोट हासिल हुए हैं।