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Economic Survey 2025 : भारत में विकास दर चार सालों में सबसे निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आई

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। आम बजट से एक दिन पहले वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) में सरकार ने माना है कि खत्म होने वाले वित्त वर्ष में भारत की विकास दर काफी गिर गई। विकास दर गिरकर चार सालों में सबसे निचले स्तर पर 6.4 प्रतिशत पर आ गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman)  ने शुक्रवार 31 जनवरी को वित्त वर्ष 2024-25 का आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया। सर्वेक्षण में विकास की दर के धीमे हो जाने को स्पष्ट रूप से स्वीकारा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2025 में खत्म होने वाले मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के सिर्फ 6.4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।

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यह उम्मीदों से काफी कम है। पिछले साल के सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया था कि इस साल विकास की दर 6.5 से सात प्रतिशत तक रह सकती है। यहां तक कि आरबीआई का भी अनुमान था कि विकास दर 6.6 प्रतिशत तक रह सकती है। लेकिन नए अनुमान ने इन सभी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है और आने वाली आर्थिक मंदी की तरफ इशारा किया है। पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में भारत ने 8.2 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की थी।

क्या कहता है सर्वेक्षण?

सर्वेक्षण में सरकार ने कहा है कि 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिर विकास दिखाई दिया लेकिन यह विकास अलग-अलग इलाकों में असमान रहा। सरकार ने आगे कहा कि दुनिया की इस हालत के बीच भारत के विकास की दर स्थिर रही। कृषि और सेवा क्षेत्रों में विकास देखा गया और ग्रामीण इलाकों में डिमांड बढ़ी, लेकिन उत्पादन क्षेत्र पर दबाव नजर आया। सर्वेक्षण ने इसके लिए कमजोर वैश्विक मांग और देश के अंदर “मौसमी हालात” को जिम्मेदार ठहराया है।

रिपोर्ट के मुताबिक अगले वित्त वर्ष (2025-26) में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संभावनाएं संतुलित हैं। लेकिन यह पूर्वानुमान उपभोक्ताओं में आत्मविश्वास के बढ़ने, खाद्य महंगाई के कम होने आदि जैसी कई उम्मीदों पर टिका है। साथ ही यह भी कहा गया है कि भारत को मूलभूत स्तर पर ढांचागत सुधार लाने होंगे, अर्थव्यवस्था में और डीरेगुलशन करना होगा यानी नियम-कानूनों से जुड़ी बाधाएं हटानी होंगी और अपनी वैश्विक प्रतियोगितात्मकता को बढ़ाना होगा।

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क्या कहते हैं जानकार?

वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार प्रकाश चावला के मुताबिक सर्वेक्षण का बड़ा संदेश है उसका डीरेगुलशन पर जोर देना है। चावला ने बताया कि भारत के नीति निर्माताओं को यह लग रहा है कि जिस धीमी गति से देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, उससे देश की महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं होंगी। विकास दर को तेज करने के लिए अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को श्रम और भूमि अधिग्रहण जैसे क्षेत्रों में सुधार लाने की जरूरत है।

चावला ने आगे कहा कि सर्वेक्षण यह कहना चाह रहा है कि इन्हीं सुधारों के ना होने की वजह से भारत में उत्पादन क्षेत्र में विकास नहीं हो पा रहा है, जो विकास की गति बढ़ाने के लिए और अच्छी नौकरियां देने के लिए भी जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट में इस तरफ झुकाव नजर आ सकता है।

विपक्ष के कुछ नेताओं का कहना है कि सर्वेक्षण में पिछले 10 सालों में मोदी सरकार द्वारा की गई आर्थिक गलतियों को स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम (former Union Finance Minister P Chidambaram) ने सर्वेक्षण की प्रस्तावना में भारतीय अर्थव्यवस्था पर लिखे गए हिस्से के बारे में एक्स पर लिखा, कि सिर्फ इन 10 अनुच्छेदों को पढ़ कर आप समझ जाएंगे कि पिछले 10 सालों में सरकार ने क्या गलत किया?

सर्वेक्षण का पूर्वानुमान है कि आने वाले वित्त वर्ष (2025-26) में विकास दर 6.3-6.8 प्रतिशत रह सकता है। सीतारमण शनिवार एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। बजट में सभी जानकारों की नजर यह देखने पर रहेगी कि मोदी सरकार मंदी का सामना करने के लिए क्या कदम उठाती है।

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