नई दिल्ली। दुनिया भारत के युग में प्रवेश करने के मुहाने पर खड़ी है। देश 2047 तक विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने की ओर बढ़ रहा है। प्रमुख अर्थशास्त्री और नीति निर्माता एनके सिंह (Leading economist and policy maker NK Singh) ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (LSE) में प्रतिष्ठित मानद फेलोशिप प्रदान किए जाने पर अपने संबोधन में ये बातें कही। इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ (Institute of Economic Growth) के अध्यक्ष सिंह ने कहा कि वे नोबेल पुरस्कार विजेता (Nobel Prize Winner) प्रोफेसर अमर्त्य सेन (Professor Amartya Sen) और पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन (Former President KR Narayanan) जैसे साथी भारतीयों की श्रेणी में शामिल होने पर विनम्र महसूस कर रहे हैं।
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प्रसिद्ध विश्वविद्यालय ने कहा कि यह सम्मान एलएसई (LSE) के साथ सिंह के दीर्घकालिक और प्रतिबद्ध संबंधों और एलएसई (LSE) के भारत सलाहकार बोर्ड के सह-अध्यक्ष के रूप में भारत के साथ अपने अद्वितीय संबंधों को सुविधाजनक बनाने के उनके प्रयासों को देता मान्यता है। उन्होंने कहा कि मेरे कई पूर्ववर्तियों के कद को देखते हुए यह मेरे लिए विनम्र क्षण है। एलएसई (LSE) 1895 में अपनी स्थापना के बाद से अकादमिक उत्कृष्टता का केंद्र रहा है। भारत के साथ इसका संबंध गहन, जिज्ञासु और अभिन्न संबंध रहा है।
पुरस्कार स्वीकार करते हुए अपने भाषण में 83 वर्षीय अर्थशास्त्री ने देश के गौरवशाली इतिहास और इसकी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर उच्च वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था (Economy) के रूप में इसके प्रयास को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी का तीसरा कार्यकाल है, वह और मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य 2047 तक विकसित भारत को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। अगले दो दशकों के लिए, भारत को इस तरह के विकास प्रक्षेपवक्र को बनाए रखने की आवश्यकता है। भारत की वृद्धि की कहानी यह भी दर्शाती है कि लोकतंत्र और विकास एक दूसरे के लिए शत्रुतापूर्ण नहीं हैं।
जी-20 द्वारा गठित बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDB) के सुधारों के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समूह के सह-संयोजक के रूप में सिंह ने एमडीबी (MDB) द्वारा “बेहतर, साहसिक और बड़े” दृष्टिकोण का आह्वान किया है जो जलवायु संकट की दबाव संबंधी चिंताओं से भी निपटता है।