इंदौर। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में लाना चाहती है, लेकिन कांग्रेस (Congress) इस मुद्दे पर दोहरे मानदंड अपना रही है।
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निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मीडिया से कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और केंद्र सरकार शुरू से ही पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी (GST) व्यवस्था के तहत लाने के पक्ष में रही है, क्योंकि इससे लोगों को फायदा होगा।
प्रियंका के पेट्रोल-डीजल मुद्दे पर कसा तंज
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वे कौन लोग हैं, जो पेट्रोल और डीजल को जीएसटी (GST) के तहत लाने से रोक रहे हैं? अगर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Congress General Secretary Priyanka Gandhi Vadra) पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) को जीएसटी (GST) के तहत लाने के पक्ष में हैं, तो उन्हें कांग्रेस की हर राज्य सरकार से जीएसटी परिषद (GST Council) में इस पर सहमत होने के लिए कहना चाहिए।”
वित्त मंत्री ने कहा कि मीडिया को कांग्रेस से उसके दोहरे मानदंडों पर सवाल पूछना चाहिए। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Congress General Secretary Priyanka Gandhi Vadra) राज्य में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी प्रचार रैलियों के दौरान महंगाई को लेकर केंद्र और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकारों पर निशाना साध रही हैं।
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इजरायल-हमास युद्ध को लेकर दिया तर्क
इजरायल-हमास युद्ध (Israel-Hamas War) के देश की अर्थव्यवस्था पर असर के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तब से कच्चे तेल की कीमतों को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं और हम इससे निपट रहे हैं। हम जानते हैं कि हमने रूस से सस्ता कच्चा तेल आयात किया है।
सीतारमण ने कहा कि चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध हो या इजरायल-हमास युद्ध (Israel-Hamas War) , जब भी दुनिया में युद्ध होता है, तो कच्चे तेल की कीमतों पर असर पड़ने की संभावना होती है। हम पहले से ही स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
मुद्रास्फीति पर दिया जवाब
निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि सरकार लंबे समय से टमाटर, आटा, दालों और दैनिक जरूरत की अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के तहत 22 महीनों के लिए खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation) 10 प्रतिशत से ऊपर थी और वह इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं कर सका।