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बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने शीर्ष नेतृत्व पर की तीखी टिप्पणी, दलालों की एंट्री के बाद पार्टी का पश्चिम बंगाल में बेड़ा हुआ गर्क

By संतोष सिंह 
Updated Date

दीघा। जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के एक वर्ग के विरोध का सामना कर रहे वरिष्ठ नेता दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने गुरुवार को शीर्ष नेतृत्व पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि जब वह पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष थे। उस दौरान पार्टी को पश्चिम बंगाल में मजबूती मिली और जब से इसमें ‘दलालों’ का शामिल होना शुरू हुआ है तब से पार्टी गिरावट की ओर है।

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घोष अपनी नवविवाहिता पत्नी रिंकू मजूमदार के साथ तृणमूल सरकार के तरफ से निर्मित मंदिर गए और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) से मुलाकात की, जिससे यह अटकलें तेज हो गईं कि वह 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी छोड़ सकते हैं। हालांकि उन्होंने अटकलों को खारिज किया लेकिन जब वह दीघा से कोलकाता लौटते समय कोलाघाट में कुछ देर के लिए रुके तो भाजपा कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

घोष ने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा का कद तब बढ़ा था, जब मैं राज्य इकाई का अध्यक्ष था। पार्टी को वर्तमान स्थिति तक पहुंचाने के लिए 250 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपना जीवन बलिदान कर दिया। लोगों ने हम पर भरोसा किया, लेकिन यह भरोसा लगातार कम होता जा रहा है। जब से पार्टी में दलाल शामिल हुए हैं तब से पार्टी में गिरावट आ रही है। उन्होंने प्रदर्शनकारी पार्टी समर्थकों से कहा कि यदि आप अपने दुश्मनों से लड़ना चाहते हैं तो सही में लड़ाई लड़ें नाटक न करें। मैं यहां पार्टी बदलने नहीं आया हूं बल्कि राज्य की राजनीति बदलने आया हूं।

घोष 2015 में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने थे और 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था। घोष ने सुबह अपनी पत्नी के साथ दीघा समुद्र तट पर संवाददाताओं से कहा कि हमारी पार्टी ने हमें जाने से मना नहीं किया था। मुझे आमंत्रित किया गया था और यही कारण है कि मैं यहां आया हूं। मुझमें ऐसा करने का साहस है।

तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर घोष ने कहा कि मैं क्यों शामिल होऊंगा? उन्होंने कहा कि मेरा बुरा वक्त नहीं है। मैं पिछले 10 वर्षों में नहीं बदला हूं, मैंने अपनी पार्टी नहीं बदली है जैसे कई लोग चुनाव आने पर पाला बदल लेते हैं। दिलीप घोष को पाला बदलने की जरूरत नहीं है।

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घोष मंदिर गए थे और उसके बाद बनर्जी से मुलाकात की थी और उनकी इस मुलाकात का कुछ हिस्सा मुख्यमंत्री के फेसबुक पेज पर लाइव स्ट्रीम किया गया था जिसने कई लोगों को हैरान कर दिया था। कुछ भाजपा नेताओं ने इसकी आलोचना की थी। वरिष्ठ भाजपा नेता स्वप्न दासगुप्ता ने घोष और बनर्जी के बीच बैठक की एक तस्वीर साझा करते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष के इस स्पष्ट विश्वासघात से जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में आक्रोश इतना तीव्र है कि राष्ट्रीय नेतृत्व इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता।

घोष ने आलोचनाओं का बेबाकी से दिया जवाब

उन्होंने कहा कि लोग दिलीप घोष (Dilip Ghosh) के बारे में बात करते रहते हैं। भले ही वे नकारात्मक बातें करें, लेकिन इससे मेरा प्रचार ही होता है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार (BJP State President Sukanta Majumdar) ने कहा कि पार्टी इस यात्रा का समर्थन नहीं करती।

उन्होंने कहा कि यह दिलीप घोष (Dilip Ghosh)  की अपनी मर्जी है, लेकिन पार्टी इस यात्रा का समर्थन नहीं करती। हमारे कई विधायकों को आमंत्रित किया गया था लेकिन राज्य के विभिन्न स्थानों पर हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के कारण कोई भी नहीं गया। नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी (Leader of Opposition Shubhendu Adhikari) से जब इस यात्रा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं उनके बारे में बात नहीं करना चाहता।

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