नई दिल्ली। अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट (Report of American firm Hindenburg Research) आने के बाद गौतम अडानी की अगुवाई वाले समूह के शेयरों में इस कदर बिकवाली हुई कि अब वह सबसे अमीर लोगों की सूची में फिसलकर 30वें स्थान पर आ गए हैं। बंदरगाह, हवाई अड्डा, खाद्य तेल, बिजली, सीमेंट और डेटा केंद्र जैसे तमाम क्षेत्रों में कारोबारी दखल रखने वाले अडानी समूह के शेयरों में बीते एक महीने में भारी बिकवाली हुई है। आंकड़े बताते हैं कि अडानी समूह की 10 कंपनियों के सम्मिलित बाजार मूल्यांकन में इस दौरान 12.06 लाख करोड़ रुपये की भारी-भरकम गिरावट आ चुकी है।
पढ़ें :- निवेशकों के डूबे रुपये तो कौन होगा जिम्मेदार... हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आरोपों की क्या सरकार करेगी जांच?
हालांकि, अडानी समूह (Adani Group) ने इन आरोपों को झूठा एवं आधारहीन बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया था। अडानी समूह की तरफ से दिए गए तमाम स्पष्टीकरण के बाद भी इसके शेयरों में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। सर्वाधिक नुकसान अडानी टोटल गैस लिमिटेड को हुआ है जिसके बाजार मूल्यांकन में 80.68 प्रतिशत की बड़ी गिरावट हो चुकी है। इसी तरह अडानी ग्रीन एनर्जी का मूल्यांकन 74.62 प्रतिशत घट गया है। अडानी ट्रांसमिशन के बाजार मूल्य में 24 जनवरी से अब तक 74.21 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं समूह की मुख्य कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का मूल्यांकन करीब 62 प्रतिशत तक गिर चुका है।
अडानी की संपत्ति 39.9 अरब डॉलर पहुंची
अडानी पावर और अडानी विल्मर के अलावा इसकी सीमेंट कंपनियों अंबुजा सीमेंट्स एवं एसीसी के बाजार पूंजीकरण में भी इस दौरान गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही मीडिया कंपनी एनडीटीवी और अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड को भी मूल्यांकन में खासा नुकसान हुआ है। अगर गौतम अडानी की व्यक्तिगत पूंजी की बात करें तो उनका मूल्यांकन 120 अरब डॉलर से घटकर 39.9 अरब डॉलर से भी कम रह गया है। इस तरह उनके व्यक्तिगत मूल्यांकन में 80 अरब डॉलर यानी दो-तिहाई की गिरावट आ चुकी है।
मुकेश अंबानी फिर से देश के सबसे अमीर व्यक्ति
पढ़ें :- Adani Hindenburg Case : सुप्रीम कोर्ट में सेबी ने जांच रिपोर्ट की पेश, कहा- 22 मामलों की जांच अंतिम चरण में
अडानी की संपत्ति में गिरावट आने के साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी फिर से देश के सबसे धनी आदमी बन गए हैं। अंबानी 81.7 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के 10वें सबसे अमीर शख्स हैं। अमेरिका के पूर्व वित्त मंत्री और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष लैरी समर्स ने हाल ही में अडानी प्रकरण की तुलना एनरॉन मामले से करते हुए कहा था कि यह भारत का एनरॉन प्रकरण बन सकता है। वर्ष 2001 में अमेरिकी कंपनी एनरॉन कॉरपोरेशन पर राजस्व बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के आरोप लगने के बाद उसके शेयरों में भारी गिरावट आई थी।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने भी अपनी निवेश शोध रिपोर्ट में गलत तरीके अपनाने के आरोप
हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने भी अपनी निवेश शोध रिपोर्ट में अडानी समूह (Adani Group) पर शेयरों के भाव चढ़ाने के लिए गलत तरीके अपनाने के आरोप लगाए हैं। उसके आरोपों के मूल में यह है कि अडानी समूह के अधिकारियों या परिवार के सदस्यों का उन फर्मों पर किसी तरह का नियंत्रण है जो समूह की कंपनियों का स्वामित्व रखती हैं। मसलन, मॉरीशस में गठित ओपल इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड की अडानी पावर में 4.69 प्रतिशत हिस्सेदारी है। आरोप है कि ओपल इन्वेस्टमेंट का गठन ट्रस्टलिंक इंटरनेशनल लिमिटेड ने किया था जिसके ताल्लुक अडानी परिवार से रहे हैं। हालांकि, अडानी समूह (Adani Group) ने 27 जनवरी को कहा था कि ओपल की तरफ से खरीदे जाने वाले शेयरों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं होता है।