Gyanvapi Masjid Case : वाराणसी जिला कोर्ट (Varanasi District Court ) में सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) में सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट कल फैसला सुनाएगा। इस मामले की सुनवाई जिला जज अजय कुमार विश्वेश (District Judge Ajay Kumar Vishwesh) ने की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अदालत को 8 सप्ताह में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है।
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पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को कोर्ट के अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई है। बता दें कि अजय मिश्रा की रिपोर्ट सब्मिट हुई है उन्हें अंदर नहीं जाने दिया है। कोर्ट कर्मचारियों ने कहा है। केवल उन्हें ही इजाजत दी जाएगी जिनका नाम वकालतनामे में होगा।
कोर्ट रूम के अंदर लक्ष्मी, सीता साहू , मंजू व्यास, रेखा पाठक, मोहम्मद तौदीद, अभय यादव मुस्लिम पक्ष के वकील, मेराज फारूकी, मुमताज अहमद, हिन्दू पक्ष के वकील मदन मोहन, रइस अहमद, हिन्दू पक्ष सुधीर त्रिपाठी, वरिष्ठ वकील मान बहादुर सिंह, विष्णु जैन, सुभाष चतुर्वेदी, सरकारी वकील महेंद्र प्रसाद पांडेय मौजूद थे।
सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका
वाराणसी कोर्ट की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर हुई है। बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। उनका कहना है कि वर्शिप एक्ट काशी विश्वनाथ मंदिर पर लागू नहीं होता है। आगे कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद इस्लाम के सिद्धांत के हिसाब से नहीं बनी है।
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अपनी याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि ये ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी की उपासना पूजा का मामला सीधे तौर पर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है। उस अविमुक्त क्षेत्र में अनादि काल से भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है। ये क्षेत्र और यहां की समस्त सम्पत्ति हमेशा से उनकी ही रही है।
याचिका के मुताबिक एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद, मन्दिर को ध्वस्त करने और यहां तक कि नमाज पढ़ने से भी मन्दिर का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता। प्राणप्रतिष्ठा के बाद देवता का उस प्रतिमा से अलगाव तभी होता है जब विसर्जन की प्रकिया के बाद मूर्तियों को वहां से शिफ्ट न किया जाए।