Holi Shakun Shastra : हिंदू धर्म में होली त्योहार का अध्यात्मिक महत्व है। जीवन के उल्लास को जीवंत बनाए रखने के लिए होली में रंग और उमंग दोनों का विशेष महत्व है। जीवन रंगों की तरह खिलता रहे और परमार्थ करने का उमंग कभी भी कमजोर न हो इसके लिए होली त्योहार पर कुछ शुभ करना आवश्यक है। मान्यता के अनुसार विधि पूर्वक होलिका माता की पूजा करने से वर्ष भर शुभ शकुन मिलते है। शकुन शास्त्र में होलिका दहन के समय वायु प्रवाह की दिशा से जन जीवन पर पडने वाले प्रभावों का फलित निर्णय किया जाता है। दिशा के अनुसार होली की लौ (झळ) का फलाफल शकुन शास्त्र में इस प्रकार बताया गया है। आइये जानते है हाली के लौ से जुड़े शकुन शास्त्र के सूचक के बारे में।
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1.होलिका दहन के समय लौ सीधी हो तो सुख-शांति व उत्पादन बढऩे का सूचक होती है।
2.होलिका की अग्नि की लौ का पूर्व दिशा ओर उठना कल्याणकारी होता है।
3.दक्षिण की ओर पशु पीड़ा।
4.पश्चिम की ओर सामान्य और उत्तर की ओर लौ उठने से बारिश होने की संभावना रहती है।