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मिल्खा सिंह का ‘फ्लाइंग सिख’ नाम कैसे पड़ा, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी…

By शिव मौर्या 
Updated Date

नई दिल्ली। फ्लाइंग सिख नाम से विख्यात भारत के महान धावक मिल्खा सिंह दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिए। 91 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। कोरोना होने के बाद उनकी हालत बिगड़ी थी लेकिन गुरुवार उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। मिल्खा सिंह भारत के खेल इतिहास के सबसे सफल एथलीट थे।

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मिल्खा सिंह के हुनर के मुरीद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे फील्ड मार्शल अयूब खान तक थे। मिल्खा सिंह का बचपन बहुत कठिनाइयों से गुजरा और भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिल्खा सिंह ने अपने माता-पिता और कई भाई-बहनों को खो दिया था। मिल्खा सिंह को बचपन से दौड़ने का शौक था।

बता दें कि, 1960 के दशक में रोम ओलंपिक में पदक चूकने के बाद मिल्खा सिंह बहुत ही परेशान थे। लेकिन इसी साल पाकिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल एथलीट कंपिटिशन में हिस्सा लेने का न्योता मिला। मिल्खा सिंह के मन में बंटवारे को लेकर काफी दर्द था और इसी वजह से वो पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे। हालांकि तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के समझाने पर उन्होंने पाकिस्तान जाने का फैसला लिया। उस दौरन पाकिस्तान में मौजूद अब्दुल खालिक को वहां का सबसे तेज धावक माना जाता था।

पाकिस्तान में पूरा स्टेडियम अपने हीरो का जोश बढ़ा रहा था लेकिन मिल्खा सिंह की रफ्तार के सामने अब्दुल खालिक टिक नहीं पाए। मिल्खा सिंह का प्रदर्शन देखने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख का खिताब दिया और कहा कि आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो। इसलिए हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं।

 

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