लखनऊ। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर (Chhatrapati Shahuji Maharaj University Kanpur) के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक (Vice Chancellor Professor Vinay Kumar Pathak) की हाईकोर्ट बीते 15 नवंबर को याचिका खारिज कर चुका है। इसके फैसले के बाद उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है। कोर्ट के इस फैसले के बाद भी कुलाधिपति की चुप्पी बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।
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कई शिक्षक संगठन भी सवाल कर रहे हैं कि आखिर कुलाधिपति कुलपति प्रो. पाठक पर कार्रवाई करने से परहेज क्यूं कर रही हैं? अब कुलाधिपति कैसे मनेगी कि प्रो. विनय पाठक (Pro Vinay Pathak) प्रथम दृष्टया दोषी है ? कुलपति प्रो. विनय पाठक (Pro Vinay Kumar Pathak) के खिलाफ लखनऊ के इंदिरा नगर थाने (Indira Nagar police station of Lucknow) में एफआईआर दर्ज (FIR Lodged) होने के बाद से ही उन पर कार्रवाई की आवाज उठने लगी थी, लेकिन कुलाधिपति कार्यालय उस समय भी चुप था, कोर्ट का फैसला आने के बाद आज भी चुप है।
कुलपति के खिलाफ कोर्ट ने भी मान लिया है कि उनके ऊपर प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है। लिहाजा उनकी एफआईआर निरस्त नहीं की जा सकती है। शिक्षकों को कोर्ट के फैसले के बाद कुलाधिपति से उम्मीद थी कि वह तत्काल कुलपति प्रो. विनय पाठक (Pro Vinay Pathak) को निलम्बित कर देंगी, लेकिन अब तक इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में शिक्षकों का कहना है कि कुलाधिपति प्रो. पाठक पर कार्रवाई करने से क्यों हिचक रही हैं ? उन्हें किसका इंतजार है? क्या कोर्ट से भी ऊपर कोई है ? उनका मानना है कि कुलपति प्रो. विनय पाठक (Pro Vinay Pathak) पर कार्रवाई नहीं होने से अन्य भ्रष्ट कुलपतियों के हौंसले बुलंद होंगे? लोगों में गलत संदेश जाएगा।
लखनऊ विश्वविद्यालय (University of Lucknow) के शिक्षकों का मानना है कि प्रो. पाठक को निलम्बित कर जांच की जाए, तो काफी राज खुलेंगे। सही से जांच कराई जाए तो कई विश्वविद्यालय के कुलपति बच नहीं पाएंगे। क्योंकि वह भी प्रो. विनय पाठक (Pro Vinay Pathak) के नक्शे कदम पर चल रहे हैं,अजय मिश्रा की एजेंसी उनके यहां परीक्षा के सारे काम कर रही है?
प्रो. विनय पाठक ने गिरफ्तारी से बचने के लिए चली नई चाल, बीमारी का हवाला देकर एसटीएफ से मांगा समय
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इसी बीच कुलपति प्रो. विनय पाठक ने गिरफ्तारी से बचने के लिए नई चाल चलते हुए एसटीएफ मुख्यालय में एक ईमेल भेजा है। इसमें उन्होंने लिखा कि मैं बीमार हूं। मेरा इलाज चल रहा है। ऐसे में मुझे 25 नवंबर तक समय दिया जाए। बता दें कि एसटीएफ ने बीते मंगलवार रात में कानपुर स्थित कुलपति के आवास पर जाकर नोटिस देकर 18 नवंबर को मुख्यालय में उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने के लिए कह चुका है।
एसटीएफ ने पूछा आपको क्या हुआ , कहां और किस अस्पताल में करवा रहे हैं इलाज?
एसटीएफ (STF) के सख्त रवैये को देखते हुए पाठक ने नोटिस का जवाब ईमेल से देकर अपना बचाव करने की कोशिश की है। एसटीएफ ने फौरन ईमेल का जवाब दिया है। एसटीएफ की ओर से पूछा गया कि आपको क्या हुआ है? आप कहां और किस अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। आप कौन सा फोन नंबर इस्तेमाल कर रहे हैं। आपकी देखरेख के लिए कौन मौजूद है। आप इन बिंदुओं पर जवाब दें ताकि आपसे संपर्क कर जानकारी की जा सके।
सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ताकि वह याचिका दाखिल कर सकें
उधर, कानपुर में एसटीएफ की एक टीम सक्रिय भूमिका में कुलपति के करीबियों पर नजर बनाए हुए हैं। विश्वविद्यालय में भी इंटेलीजेंस के अफसरों ने पड़ताल की है। एसटीएफ पता लगा रही है कि विनय पाठक किन लोगों के संपर्क में हैं। सूत्रों का कहना है कि पाठक की ओर से एसटीएफ से इसलिए समय मांगा गया है, ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल कर सकें।
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एसटीएफ को जवाब का इंतजार
हालांकि एसटीएफ प्रो. कुलपति को यह मौका नहीं देना चाहती है। यही वजह है कि हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद एसटीएफ के छापे से बेचैन होकर पाठक ने ईमेल भेजकर वक्त मांगा है। एसटीएफ अब पाठक के दोबारा से ईमेल भेजने का इंतजार कर रही है। पाठक का जवाब आने के बाद पुलिस टीम आगे की रणनीति तय करेगी।
माना जा रहा है कि कुलपति अगर एसटीएफ को विवेचना में सहयोग नहीं करते हैं तो पुलिस कोर्ट के माध्यम से आगे की कार्रवाई करेगी। विनय पाठक पर डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में कुलपति रहते कमीशन लेने का आरोप है। इंदिरानगर थाने में इसकी एफआइआर दर्ज की गई थी, जिसकी विवेचना एसटीएफ कर रही है। एसटीएफ अब तक पाठक के करीबी अजय मिश्र और अजय जैन को गिरफ्तार कर चुकी है।