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India-Australia FTA: आस्‍ट्रेलियाई संसद ने FTA को दी मंजूरी,5 साल में दोगुना होगा भारत-आस्‍ट्रेलिया का द्विपक्षीय व्यापार

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्‍ली। ऑस्‍ट्रेलिया की संसद ने मंगलवार को भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (India-Australia Free Trade Agreement- FTA) को मंजूरी दे दी है। ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज (Australian PM Anthony Albanese) ने ट्वीट कर बताया कि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में समझौते से संबंधित बिल आसानी से पास हो गया है।

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मंगलवार को इस बिल को इसे सीनेट में रखा जाएगा। भारत-आस्‍ट्रेलिया के बीच यह समझौता अप्रैल, 2022 में हुआ था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और आस्‍ट्रेलियाई प्रधानमंत्री अल्‍बनीज ने जी20 की इंडोनेशिया में हुई बैठक में भी इस समझौते के बारे में अनौपचारिक बातचीत की थी। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में संधियों से जुड़ी संसदीय समिति ने सरकार से भारत के साथ व्यापार समझौते को मंजूरी देने की सिफारिश की थी।

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने आज ट्वीट कर लिखा कि भारत के साथ हमारा मुक्त व्यापार समझौता (FTA) संसद से पारित हो गया है।ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डॉन फैरेल ने कहा कि भारत ने द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है और इससे यह समझौता सिरे चढ़ा है।

2 अप्रैल को हुआ था समझौता

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 2 अप्रैल को आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया टैक्सटाइल, चमड़ा, आभूषण और खेल उत्पादों समेत 95 फीसदी से अधिक भारतीय वस्तुओं के लिए अपने बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच प्रदान करेगा।

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क्‍या है FTA?

मुक्त व्यापार समझौता (FTA) 2 देशों के बीच व्‍यापार को आसान बनाने के लिए किया जाता है। इसके अंतर्गत 2 देशों के बीच आयात-निर्यात किए जाने वाले प्रोडक्‍ट्स पर कस्‍टम ड्यूटी, रेगुलेटरी लॉ, सब्सिडी और कोटा आदि की सीमा में ढील दी जाती है। जिन दो देशों के बीच में यह समझौता होता है, उनकी प्रोडक्‍शन लागत, बाकी देशों के मुकाबले सस्ती हो जाती है। इससे आपसी व्‍यापार बढ़ता है।

5 वर्षों में 50 अरब डॉलर होगा द्विपक्षीय व्यापार

अप्रैल में इस समझौते पर हस्‍ताक्षर करने के बाद भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को 27 अरब डॉलर से बढ़ाकर अगले 5 वर्षों में 45 से 50 अरब डॉलर तक पहुंचने में मददगार होगा.

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