नई दिल्ली। यूके-भारत (India-UK) ने कल हीमुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया है। इसके बाद भारतीय कार बाजार में बड़ी हलचल मचने वाली है। अब तक 100 फीसदी से अधिक इम्पोर्ट ड्यूटी वाली ब्रिटिश लग्ज़री कारें, जैसे Rolls-Royce, Range Rover और Bentley, भारतीय ग्राहकों के लिए कहीं अधिक किफायती हो सकती हैं। इस ऐतिहासिक समझौते के तहत, ब्रिटेन में निर्मित कारों पर आयात शुल्क घटाकर सिर्फ 10 फीसदी कर दिया जाएगा, जो कि अब तक 100 फीसदी या उससे भी अधिक होता था।
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इस घोषणा के साथ ही भारत में लग्ज़री कार सेगमेंट में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद की जा रही है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री किअर स्टारमर (British Prime Minister Keir Starmer) और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Indian Prime Minister Narendra Modi) के तरफ से घोषित यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा। लगभग तीन वर्षों की लंबी बातचीत के बाद यह डील पूरी हुई है, और इसका सीधा लाभ भारतीय उपभोक्ताओं और ब्रिटिश वाहन निर्माताओं — दोनों को मिलेगा।
इस समझौते के तहत एक कोटा-आधारित प्रणाली लागू की जाएगी, जिसमें सीमित संख्या में यूके निर्मित कारों पर केवल 10 फीसदी शुल्क लगेगा। Jaguar Land Rover, Aston Martin, Bentley, McLaren और Rolls-Royce जैसी हाई-एंड ब्रांड्स अब पहले से काफी सस्ती हो सकती हैं।
संभावित कीमतों में बदलाव (अनुमानित):
कार मॉडल वर्तमान कीमत (एक्स-शोरूम) अनुमानित नई कीमत (एक्स-शोरूम)
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Aston Martin Vanquish ₹8.85 करोड़ ₹4.86 करोड़
Range Rover Sport ₹1.45 करोड़ ₹79.75 लाख
Rolls-Royce Cullinan ₹6.95 करोड़ ₹3.82 करोड़
Bentley Bentayga ₹4.10 करोड़ ₹2.25 करोड़
ये आंकड़े इस आधार पर तैयार किए गए हैं कि पूरी टैरिफ कटौती ग्राहकों तक पहुंचाई जाएगी। हालांकि, अंतिम कीमतों में थोड़ा अंतर आ सकता है, क्योंकि राज्य कर, लॉजिस्टिक्स और ब्रांड की मूल्य निर्धारण नीतियाँ अलग-अलग हो सकती हैं।
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व्यापार समझौता न केवल भारत में ब्रिटिश कारों की कीमतों को और प्रतिस्पर्धात्मक बनाएगा
यह व्यापार समझौता न केवल भारत में ब्रिटिश कारों की कीमतों को और प्रतिस्पर्धात्मक बनाएगा, बल्कि यूके के वाहन निर्माताओं को भी भारत जैसे तेजी से बढ़ते बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का बड़ा अवसर देगा। वर्ष 2024 में ही यूके ने भारत को लगभग ₹650 करोड़ की मोटर कारें, ₹30 करोड़ की बाइक्स, और ₹1,150 करोड़ के ऑटो पार्ट्स एक्सपोर्ट किए थे।
इस समझौते को अब दोनों देशों की संसदों की मंज़ूरी का इंतज़ार है, जो अगले एक साल में पूरी होने की संभावना है। लेकिन भारतीय ग्राहकों के लिए, लग्ज़री को अब सिर्फ सपना नहीं, एक किफायती विकल्प बनते देखना संभव हो सकता है।