Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. देश में सिकल सेल रोग रोकथाम की पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी को किया लांच

देश में सिकल सेल रोग रोकथाम की पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी को किया लांच

By Satish Singh 
Updated Date

नई दिल्ली। भारत ने सिकल सेल रोग की रोकथाम के लिए अपनी पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी और बिरसा 101 (BIRSA 101) लॉन्च की है। जीन थेरेपी एक चिकित्सा तकनीक है, जिसमें किसी व्यक्ति की कोशिकाओं में आनुवंशिक पदार्थ को परिवर्तित कर रोग का उपचार या रोकथाम की जाती है। इसका उद्देश्य रोग के विकास के लिए उत्तरदायी दोषपूर्ण जीन को ठीक करना है।

पढ़ें :- रूसी राष्ट्रपति पुतिन को प्रेसिडेंट हाउस में दिया गया गार्ड ऑफ़ ऑनर, भारत की राष्ट्रपति मुर्मू और PM मोदी रहे मौजूद

बता दे कि दैहिक जीन थेरेपी (Somatic gene therapy) गैर-प्रजनन कोशिकाओं में परिवर्तन करती है। प्रभाव वंशानुगत नहीं होते है। जर्मलाइन जीन थेरेपी प्रजनन कोशिकाओं में परिवर्तन करती है। यह परिवर्तन संतानों में भी पहुच सकते हैं। इस जीन थेरेपी का नाम भगवान बिरसा मुंडा, एक सम्मानित आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान में बिरसा 101 रखा गया है। इस थेरेपी में CRISPR-Cas9 तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो एक परिशुद्ध आनुवंशिक सर्जरी है। जिसका उद्देश्य न केवल सिकल सेल रोग का उपचार करना है, बल्कि अन्य आनुवंशिक विकारों के लिए भी इसके संभावित अनुप्रयोग हैं। एक कम लागत वाले विकल्प के रूप में विकसित बिरसा 101 में ₹20-25 करोड़ के मूल्य वाले वैश्विक उपचारों को भारतीय परिस्थितियों के लिए अनुकूलित एक अधिक वहनीय समाधान से बदलने की क्षमता है। इसे नई दिल्ली स्थित CSIR-इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) द्वारा विकसित किया गया है। IGIB ने सिकल सेल रोग के लिए क्रिस्पर प्लेटफॉर्म को वहनीय उपचारों में विस्तारित करने के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SIIPL) के साथ साझेदारी की है। यह चिकित्सा रोग का कारण बनने वाले आनुवंशिक कोड के दोषपूर्ण भाग को संशोधित करती है। इसे एक बार दिया जाता है, जिसके बाद शरीर सिकल के आकार की कोशिकाओं के स्थान पर सामान्य लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन शुरू कर देता है।

Advertisement