नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) ने बुधवार को कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) को बताया कि प्रदेश सरकार को ब्रेस्ट मिल्क (Breast Milk) को इकट्ठा करने, और उसका बिजनेस करने की अनुमति देने वाले लाइसेंस रद्द करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट मुनेगौड़ा नामक व्यक्ति के तरफ से दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रहा था। सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के लिए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामथ (Additional Solicitor General Arvind Kamath) ने मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और जस्टिस केवी अरविंद की पीठ को बताया कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय (Union AYUSH Ministry) ने हाल ही में कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) को ऐसे लाइसेंसों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामथ (Additional Solicitor General Arvind Kamath) ने कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) ने राज्य को ऐसे सभी लाइंसेंस को रद्द करने का निर्देश दिया है। कुछ कंपनियों को आयुर्वेदिक मानदंडों के तहत लाइसेंस प्राप्त हुए थे, जो ब्रेस्ट मिल्क (Breast Milk) का बिजनेस करने की अनुमति देता है। हालांकि, सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। राज्य ने कुछ लाइसेंस रद्द कर नियम का पालन किया है।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील बी. विश्वेश्वरैया ने पैकेज्ड ब्रेस्ट मिल्क की 50 मिली. की बोतल और पाउडर ब्रेस्ट मिल्क का 10 ग्राम का पैकेट पेश किया। दोनों की बिक्री कीमत क्रमशः 1,239 रुपये और 313 रुपये बताई गई। कामथ ने बताया कि इस लाइसेंसों को पहले आयुर्वेदिक मानदंडों के तहत जारी किए गए थे, लेकिन हाल ही में इसे रद्द करने की मांग की गई। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में केंद्रीय आयुष मंत्रालय (Union AYUSH Ministry) को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया और नोटिस जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी।