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Intelligence Alert : चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान आए विदेशी विदेशियों के अपहरण का है प्लान, खुफिया रिपोर्ट से मचा हड़कंप

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। पाकिस्तान के खुफिया ब्यूरो (Intelligence Bureau) ने इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) की नई साजिश को लेकर बड़ा दावा किया है। इसमें कहा गया कि चैंपियंस ट्रॉफी 2025 देखने आने वाले विदेशियों के अपहरण का प्लान है। इसके बदले उनसे फिरौती के तौर पर मोटी रकम वसूली जा सकती है। माना जाता है कि यह आतंकी संगठन खासतौर से चीनी और अरब नागरिकों को टारगेट करता है। पाकिस्तानी आईबी (Pakistani IB) की चेतावनी में कहा गया,कि आईएसकेपी (ISKP)  के लड़ाके ऐसे बंदरगाहों, हवाई अड्डों, कार्यालयों और होटलों की निगरानी कर रहे हैं जहां इन देशों से आने वालों की आवाजाही अधिक है।

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खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, ISKP के गुर्गों ने शहर के बाहरी इलाकों में कई मकानों को किराए पर लेने की योजना बनाई है। वे जानबूझकर ऐसी जगहों का चयन कर रहे हैं जहां सीसीटीवी कैमरे न लगे हों। ये ऐसे इलाके हैं जहां पर केवल रिक्शा या मोटरसाइकिल से पहुंचा जा सकता है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट में बताया गया कि अगवा करने के बाद रात के अंधेरे में ले जाकर लोगों को इन्हीं ठिकानों पर बंधक बनाया जाएगा। यह चेतावनी ऐसे समय में जारी हुई है, जब अंतरराष्ट्रीय आयोजनों को सुरक्षित तरीके से सम्पन्न कराने को लेकर पाकिस्तान पर सवाल उठ रहे हैं। पहले भी विदेशी नागरिकों की सुरक्षा को हल्के में लेने के आरोप इस्लामाबाद पर लग चुके हैं।

जब लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हुआ हमला

गौरतलब है कि पिछले साल शांगला में चीनी इंजीनियरों पर हमला हुआ था। 2009 में लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर अटैक किया गया। इन घटनाओं के चलते पाकिस्तान की सुरक्षा तैयारियों पर अक्सर संदेह पैदा होता रहा है। इस बीच, अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी (GDI) ने भी आईएसकेपी की ओर से हमलों को लेकर अलर्ट जारी किया है। उसने गुट से जुड़े कुछ लापता गुर्गों को पकड़ने के प्रयास तेज कर दिए हैं। ISKP से जुड़े अल अजैम मीडिया की ओर से बीते साल 19 मिनट का वीडियो जारी हुआ था। इसमें दावा किया गया कि क्रिकेट मुसलमानों के खिलाफ इंटेलेक्चुअल वार का एक पश्चिमी टूल है। यह खेल राष्ट्रवाद और प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देता है, जो कि इस्लाम की जिहादी विचारधारा के खिलाफ है। अफगानिस्तान क्रिकेट टीम का समर्थन करने के लिए तालिबान की भी आलोचना की गई थी।

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