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तहरीक-ए-हुर्रियत को गैरकानूनी घोषित करने का पर्याप्त आधार है या नहीं? न्यायाधिकरण करेगा फैसला

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने मंगलवार को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम न्यायाधिकरण का गठन किया है। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के न्यायमूर्ति सचिन दत्ता (Justice Sachin Dutta) भी शामिल हैं। यह अधिकरण का मकसद यह तय करना है कि जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत (Tehreek-e-Hurriyat) को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त आधार हैं या नहीं। इसे दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) ने साल 2004 में एक सियासी दल के रूप में स्थापित किया था।

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मसरत आलम के संगठन पर भी फैसला करेगा अधिकरण

यह न्यायाधिकरण अलगाववादी मसरत आलम भट के नेतृत्व वाले संगठन मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर को लेकर भी फैसला करेगा कि इसे प्रतिबंधित करने के लिए पर्याप्त आधार हैं या नहीं। एक दिन पहले गृह मंत्रालय ने इसको लेकर भी अधिसूचना जारी की थी। जम्मू कश्मीर आधारित इस समूह को सरकार ने 27 दिसंबर को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पांच साल के लिए गैरकानूनी घोषित कर दिया था। एमएचए ने एक अधिसूचना में कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण का गठन किया।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने क्या कहा?

देश में आतंक का राज कायम करने के इरादे से जम्मू कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में संगठन की संलिप्तता के मद्देनजर इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया गया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है कि देश की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

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