रांची। झारखंड में 60-40 नियोजन नीति के खिलाफ झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन (JSSU) की ओर से 10 और 11 जून को ‘झारखंड बंद’ बुलाया गया है। जिसके तहत कई स्थानो पर छात्र नेताओं के नेतृत्व में ’60 : 40 नाय चलतो’ का नारा लगाते हुए जुलूस निकाला जा रहा है। इसके अलावा छात्रों ने सड़कों पर टायर जलाकर विरोध जताया है। जिसको लेकर झारखंड पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की अपील की है। साथ ही सभी स्थानों पर किसी अप्रिय घटना की आशंका को देखते हुए पुलिस बल तैनात है।
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क्या है 60-40 नियोजन नीति?
दरअसल, झारखंड में पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान नियुक्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण प्रावधान था, लेकिन ईडबल्यूएस के तहत 10 प्रतिशत सवर्णों के लिए आरक्षण जोड़े जाने के बाद यह प्रतिशत बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया। जिसके बाद 60 प्रतिशत रिक्तियों पर भर्तियां आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों के लिए होंगी, जबकि 40 प्रतिशत रिक्तियों पर किसी भी राज्य के अभ्यार्थी को झारखंड में नौकरी मिल सकती है। विरोध कर रहे छात्र इस नीति को झारखंड के युवाओं का हक़ मारने वाली नीति बता रहे हैं।
छात्रों की मांग
60-40 नियोजन नीति का विरोध कर रहे छात्र बिहार की तरह झारखंड में भी नियोजन नीति लागू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की उपधारा 85 के तहत संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अध्यादेश या गज़ट को अंगीकृत करने का हक़ झारखंड सरकार पास भी है। इसी के तहत 1982 की नियोजन नीति को अंगीकृत कर झारखंड में भी नियोजन की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।
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जेएसएसयू ने 60 : 40 को बताया हक़मार नीति
वहीं, झारखंड बंद पर बोलते हुए जेएसएसयू के प्रमुख देवेंद्र नाथ महतो ने 60 : 40 नियोजन नीति को हक़मार नीति करार दिया है। उनका कहना है कि झारखंड में साढ़े तीन लाख से अधिक पद खाली हैं, लेकिन दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियां दी जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना गज़ट के 60 : 40 के अनुपात के विज्ञापन प्रकाशित किए जा रहे हैं, जिसमें झारखंड शब्द को ही गायब कर दिया गया है।