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kailash mansarovar yatra om parvat : कैलाश मानसरोवर यात्रा का मुख्य पड़ाव है ॐ पर्वत , जानें मान्यताएं और महत्व

By अनूप कुमार 
Updated Date

kailash mansarovar yatra om parvat : भगवान भोलेनाथ का निवास स्थान है कैलाश पर्वत। श्रद्धालु इस पर्वत शिखर का दर्शन कर भगवान भोलेनाथ की अनुभूति करते हैं और अचंभित होते है। कैलाश मानसरोवर की पवित्र यात्रा साल 2025 में जून के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाएगी। इस पवित्र धार्मिक यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को रास्ते में कई अन्य धार्मिक स्थल भी देखने को मिलते हैं। ॐ पर्वत, कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक हिस्सा है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं को ॐ पर्वत को प्रणाम करने का अवसर मिलता मिलता है। यह पर्वत यात्रा के दौरान उत्तराखंड के नाभीढांग से स्पष्ट दिखाई देता है। इस पर्वत पर प्राकृतिक रूप से ॐ पवित्र “ओम” प्रतीक जैसा दिखता है,  जिसे देखकर यहां आने वाले श्रद्धालु अचंभित होते हैं। प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली बर्फ संरचना ॐ पर्वत से जुड़ी मान्यताएं क्या हैं, कैलाश पर्वत से ये कितना दूर है और इसका महत्व क्या है आइए जानते हैं।

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ॐ पर्वत
यह पर्वत उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के धारचूला तहसील के अंतर्गत आता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 5,900 मीटर है। कैलाश मानसरोवर के यात्रियों को नाभीढांग से इसके दर्शन होते हैं। ॐ पर्वत से कैलाश मानसरोवर की दूरी लगभग 85 किलोमीटर है।

ॐ पर्वत से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं और महत्व
ओम पर्वत पर बर्फ से प्राकृतिक रूप से ॐ लिखा हुआ है। श्रद्धालु इसे भगवान शिव के शक्ति और चमत्कार के रूप में मानते हैं। प्राचीन वैदिक और पौराणिक ग्रंथों के अनुसार,   ‘ॐ’ मंत्र को भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है, ये भगवान शिव जी का बीजाक्षर है। कैलाश मानसरोवर यात्रा का मुख्य पड़ाव होने के कारण इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। इस पर्वत के नैसर्गिक चमत्कार को देखकर श्रद्धालु ऊर्जावान महसूस करते हैं। पर्वत के दर्शन मात्र से ही तीर्थयात्रियों की की थकान मिट जाती है और आगे की यात्रा करने का उत्साह बढ़ता है। स्थानीय लोगों की मानें तो पर्वत पर ॐ स्वयं भगवान शिव ने लिखा है। वहीं यहां ॐ पर्वत को देखने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि इसे देखने पर भगवान के प्रति आस्था में वृद्धि हो जाती है।

पूरे वातावरण को भी सात्विक बना देती है
ॐ पर्वत को लेकर मान्यता है कि इससे विशिष्ट आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है, यह ऊर्जा यात्रियों के साथ ही पूरे वातावरण को भी सात्विक बना देती है। इस पर्वत के निकट जाकर कई लोगों को आनंद की दिव्य अनुभूति भी होती है। वहीं इस पर्वत की ओर मुख करके ध्यान करने से मानसिक शांति का अनुभव प्राप्त होता है।  तीर्थयात्री यहां बैठ कर ध्यान, योग करते हैं।

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