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कश्मीर भारत का अभिन्न अंग, अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का करे सम्मान : विदेश मंत्रालय

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्‍ली। भारत (India) ने अमेरिकी राजदूत के गिलगित बाल्टिस्‍तान के दौर को अमेरिका (America) के समक्ष उठाया है। विदेश मंत्रालय के तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करेंगे की वो हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। पाकिस्तान (Pakistan) में अमेरिकी राजदूत डेविड ब्लोम हाल (US Ambassador David Blom Hall) ही में गिलगित-बाल्टिस्तान की छह दिवसीय यात्रा पर गए थे। उस समय इस बारे में जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया गया था।

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गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) के डिप्टी स्पीकर के कार्यालय ने बयान जारी बताया कि राजदूत डेविड ने खाद्य एवं पर्यटन मंत्री गुलाम मुहम्मद (Ambassador David met Food and Tourism Minister Ghulam Muhammad) से भी मुलाकात की। अमेरिकी राजदूत (US Ambassador) ने इस यात्रा को गुप्त रखा था। यहां उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा कर स्थानीय लोगों से मुलाकात की थी।

अमेरिकी राजदूत , बोले- मेरा प्रतिक्रिया देना ठीक नहीं

अमेरिकी राजदूत (US Ambassador) की यात्रा पर भारतीय विदेश मंत्रालय (Indian Ministry of External Affairs) ने बयान जारी किया है। इधर, भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी (US Ambassador Eric Garcetti) ने कहा कि इस मामले में मेरी प्रतिक्रिया ठीक नहीं रहेगी। पाकिस्‍तान में अमेरिकी राजदूत (US Ambassador) पर प्रतिक्रिया देना मेरा काम नहीं है, लेकिन वह पहले भी इन जगहों पर जाते रहे हैं और जाहिर तौर पर जी20 के दौरान जम्मू-कश्मीर में हमारे प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल थे।

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कनाडा से अपने राजनयिकों की संख्या सीमित करने के आह्वान को दोहराया। कनाडा से राजनयिकों की संख्या सीमित करने को कहने के मामले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Foreign Ministry spokesperson Arindam Bagchi) ने कहा कि हमने भारत में कनाडा की राजनयिक उपस्थिति में समानता की मांग की है। इस संबंध में चर्चा जारी है। उन्होंने आगे कहा कि भारत का प्राथमिक ध्यान दो चीजों पर है, पहला कनाडा में ऐसा माहौल होना, जहां भारतीय राजनयिक ठीक से काम कर सकें और दूसरा कूटनीतिक ताकत के मामले में समानता हासिल कर सकें। गौरतलब है कि बीते महीने भी भारत ने कनाडा के आंतरिक मामलों में राजनयिक हस्तक्षेप का हवाला दिया था। साथ ही कहा था कि राजनयिक कर्मचारियों की संख्या में समानता होनी चाहिए।

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यूके में विरोध प्रदर्शन पर ये बोले बागची

उन्होंने आगे कहा कि यूके (UK) में दो अक्तूबर को एक विरोध प्रदर्शन हुआ था और हमने निश्चित रूप से वहां राजनयिकों और परिसरों की सुरक्षा पर अपनी चिंताओं को यूके के अधिकारियों के सामने उठाया है। यह एक सतत बातचीत रही। हमारा मुद्दा सुरक्षा का है और यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि हमारे राजनयिक सामान्य रूप से कार्य करने में सक्षम हैं। हमारे परिसर सुरक्षित हैं और समुदाय को लक्षित नहीं किया गया है।

अफगान दूतावास को बंद करना उनका अपना निर्णय

नई दिल्ली में अफगानिस्तान के दूतावास द्वारा एक अक्तूबर से परिचालन बंद करने पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी। इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमारी समझ यह है कि नई दिल्ली में दूतावास काम कर रहा है या काम करना जारी रखेगा। हम वहां मौजूद अफगान राजनयिकों और मुंबई और हैदराबाद में वाणिज्य दूतावासों में मौजूद अफगान राजदूत (Afghan Ambassador) के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, हमें पिछले सप्ताह कथित तौर पर दूतावास से संचार प्राप्त हुआ था, जिसमें संकेत दिया गया था कि वह सितंबर के अंत में परिचालन को निलंबित करने का इरादा रखते हैं।

बेशक, ऐसा निर्णय यह एक विदेशी मिशन का आंतरिक मामला है। हालांकि, हमने नोट किया है कि मुंबई और हैदराबाद में अफगान वाणिज्य दूतावासों (Afghan Consulates) ने उस निर्णय या ऐसे निर्णय पर अपनी आपत्ति व्यक्त की है। हम यह भी जानते हैं कि राजदूत की लंबे समय से अनुपस्थिति रही है और हाल के दिनों में बड़ी संख्या में अफगान राजनयिकों ने भारत छोड़ दिया है। हम उम्मीद करेंगे कि छात्रों सहित भारत में बड़ी संख्या में अफगान नागरिक आवश्यक कांसुलर समर्थन प्राप्त करना जारी रख सकेंगे। हम अपनी ओर से अफगानिस्तान के लोगों की सहायता के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे।

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