Death anniversary of Chhatrapati Shivaji Maharaj: आज 03 अप्रैल को मराठा साम्राज्य की स्थापना करने वाले वीर योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि है। छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की वीरता औऱ शौर्य़ की गाथाएं इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। शिवाजी ने मुगलों को धूल चटा कर मराठा साम्राज्य को बुलंद किया था।
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03 अप्रैल 1680 में एक गंभीर बीमारी की वजह से पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में उनका निधन हुआ था। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं।
शिवाजी का पूरा नाम शिवाजी राजे भोंसले
छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji Maharaj) का पूरा नाम शिवाजी राजे भोंसले था। उनके पिता का नाम शाहाजी और माता जीजाबई थीं। शिवाजी की शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई। उन्हें राजनीतिक और युद्ध कौशल की शिक्षा की गई। इसके अलावा शिवाजी की मां और कोंडदेव ने उन्हें रामायण, महाभारत और अन्य प्राचीन भारतीय ग्रन्थों का ज्ञान दिया।
सन 1645 में महज 15 साल की उम्र में पुणे में स्थित गोरणा किला की लड़ाई में शामिल हुए थे। अपने युद्ध कौशल से इस लड़ाई को जीत लिया था। शिवाजी की इस ऐतिहासिक जीत को इतिहास के पन्नों में तोरणा किले का युद्ध के नाम से जाना जाता है।
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साल 1674 में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया और राज्याभिषेक किया। रायगढ़ के किले में काशी के ब्राह्मणों ने उनका राज्याभिषेक कराया। मराठा साम्राज्य के सम्राट के रूप में उनको ताज पहनाया गया। इसी दौरान 6 जून को उन्हें छत्रपति की उपाधि से नवाजा गया।
दक्षिण भारत में विजयनगर का पतन होने के बाद मराठा साम्राज्य पहला हिंदू साम्राज्य था। इसकी स्थापना के साथ ही शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज का ऐलान किया था।
दरअसल, शिवाजी खुद को राजा मानने या बनने के लिए तैयार नहीं थे। उनका मानना था कि वह अपने लोगों के रक्षक हैं, इसलिए उन्होंने राजा या सम्राट जैसी उपाधि धारण नहीं की। शिवाजी को क्षत्रियकुलवंतस और हिन्दवा धर्मोद्धारक जैसी उपाधियां भी दी गई थीं।
इसलिए शिवाजी को कहा जाता है छत्रपति
शिवाजी के शौर्य, साहस और वीरता की वजह से उन्हे छत्रपति कहा जाता है। शिवाजी ने मुगलों को परास्त किया था। गुरिल्ला युद्ध कला में निपुण शिवाजी अपने साथियों के साथ मुगलों पर भारी पड़ते थे।
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एक बार बीजापुर के शासक आदिवशाह ने साजिश के तहत शिवाजी को गिरफ्तार करने की योजना बनाई। इस दौरान शिवाजी खुद को बच गए पर आदिलशाह ने उनके पिता शाहाजी भोसले को बंदी बना लिया। शिवाजी ने पुरंदर व जावेली के किले पर अपना अधिकार करके अपने पिता को भी छुड़ा लिया था।