नई दिल्ली। लद्दाख लोकसभा सीट (Ladakh Lok Sabha Seat) से बीजेपी के पूर्व सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल (Former BJP MP Jamyang Tsering Namgyal) ने 24 सितंबर को लेह में हुई पुलिस फायरिंग को लेकर कड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि निर्दोष प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी ने जनता का भरोसा हिला दिया है। इस संकट को अधिक धैर्य से संभाला जा सकता था। नामग्याल ने 25 सितंबर को लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता (Ladakh Lieutenant Governor Kavinder Gupta) को लिखे पत्र में चार प्रदर्शनकारियों की मौत की घटना की निष्पक्ष व पारदर्शी न्यायिक जांच की मांग की है। साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे और एक विश्वसनीय संवाद प्रक्रिया शुरू करने का आह्वान किया।
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उन्होंने कहा कि शोक संतप्त परिवारों का दुख अपार है और लद्दाख भर में गहरी पीड़ा है। उन्होंने कहा कि लोग निर्दोष जानों के लिए न्याय, घायलों को राहत और भविष्य में ऐसी त्रासदी न दोहराने की गारंटी चाहते हैं। घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रदर्शन हिंसा में बदल गया, जिससे चार युवाओं की मौत हुई, 50 से अधिक लोग घायल हुए और समाज भय में जीने को मजबूर है। नामग्याल ने कहा कि लद्दाख की जनता शांति, न्याय और जवाबदेही की एकजुट मांग कर रही है।
बीजेपी नेता ने लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) की शांति की अपीलों की सराहना की। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के हस्तक्षेप की भी प्रशंसा की, जिन्होंने 6 अक्टूबर को प्रस्तावित बैठक से पहले ही उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ संवाद की प्रक्रिया शुरू की है। यह समिति लद्दाख की भौगोलिक-सामरिक स्थिति को देखते हुए क्षेत्र की संस्कृति, भाषा, भूमि और रोजगार की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर काम कर रही है।
नामग्याल ने कहा कि लद्दाख एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है। हमारे युवाओं की बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। सीमा की रक्षा का दायित्व उठाने वाली जनता को ऐसा शासन मिलना चाहिए जो कठोर और मानवीय दोनों हो। आपको बता दें कि यह हिंसा लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों के दौरान भड़की। लेह एपेक्स बॉडी (Leh Apex Body) ने ये प्रदर्शन जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) के समर्थन में बुलाए थे, जो 35 दिनों से अनशन पर हैं।
इस बीच, केंद्र सरकार ने वांगचुक से जुड़ी संस्था का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है और उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। गुरुवार को ही सरकार ने संकट सुलझाने के लिए लेह में विशेष दूत भेजा, जबकि लद्दाख के छह प्रतिनिधि (तीन लेह से, तीन कारगिल से) वार्ता के लिए दिल्ली पहुंचे।