नई दिल्ली : बांग्लादेश संकट (Bangladesh Crisis) पर भारत में भी काफी हलचल देखने को मिल रही है। दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के एक कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) ने अब बांग्लादेश संकट (Bangladesh Crisis) पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं।
पढ़ें :- CJI Sanjiv Khanna Oath: जस्टिस संजीव खन्ना बने भारत के 51वें सीजेआई; राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई पद व गोपनीयता की शपथ
चीफ जस्टिस (Chief Justice) ने कहा कि बांग्लादेश में जो भी हो रहा है वो हमें याद दिलाता है कि आजादी और स्वतंत्रता कितने बेशकीमती है। इसी के साथ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) ने आगे कहा कि महिलाओं की गरिमा की सुरक्षा हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। हमारे विद्वान कवियों ने इसका जिक्र किया है। विधि विशेषज्ञों और वकीलों ने प्रैक्टिस छोड़कर देश की आजादी की लड़ाई और बाद के वर्षों में शासन में अपनी भूमिका निभाई।
CJI ने कहा कि हमने 1950 में संविधान अपनाया और इसका अनुसरण किया। यही वजह है कि स्वतंत्रता में किसी प्रकार का दखल नहीं है। स्वतंत्रता या आजादी को हल्के में नहीं लिया जा सकता। ये कितनी महत्वूपर्ण है, अतीत की कहानियों से समझा जा सकता है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ (Chief Justice Chandrachud) ने ये भी कहा कि आज का दिन हमें संविधान के सभी मूल्यों को साकार करने और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की याद दिलाता है।
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि आजादी की लड़ाई में देश ने क्या झेला? उस वक्त संविधान और कानून की क्या स्थिति थी, ये सभी जानते हैं। हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों को सलाम करना चाहिए, जिन्होंने आजादी के संघर्ष में शामिल होने के लिए वकालत तक छोड़ दी। चंद्रचूड़ ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, गोविंद वल्लभ पंत, देवी प्रसाद खेतान, सर सैयद मोहम्मद सादुल्लाह जैसे कई महापुरुषों ने खुद को राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था। ये सभी भारत की आजादी के नायक थे। इन्होंने एक स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना में भी योगदान दिया।
कोर्ट का काम आम आदमी के संघर्ष जैसा : चंद्रचूड़
पढ़ें :- CJI DY Chandrachud ने विदाई समारोह में सुनाया भावुक किस्सा, पिता ने कहा था-पुणे का फ्लैट सेवानिवृत्त तक अपने पास जरूर रखना
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ (Chief Justice Chandrachud) ने कोर्ट की मौजूदा प्रोसेस पर भी बात करते हुए कहा कि पिछले 24 सालों में एक जस्टिस के रूप में मैं अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकता हूं कि कोर्ट का काम उतना ही संघर्ष भरा है जितनी एक आम आदमी की जिंदगी। कोर्ट में सभी धर्म, जाति, लिंग, गांव और शहरों के लोग आते हैं। इन सभी को चुनिंदा संसाधनों में और दायरे में रहकर न्याय दिलाना होता है। यह उतना आसान काम नहीं है।