महराजगंज। गोल्डन ब्वाय इस्माइल खान जिले में मतदाताओं को जागरूक करेंगे। प्रशासन गोल्डन ब्वाय की मदद से लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित करेगा।
आगरा में ताज महल के पास स्टैच्यू बनकर सुर्खियों में आए इस्माइल मंगलवार को एडीएम से मिलने पहुंचे। परिसर में अचानक गोल्डन ब्वाय को देखकर लोग हैरत में पड़ गए। हर कोई उनके साथ सेल्फी लेने लगा। कुछ देर बाद इस्माइल एडीएम डॉ. पंकज कुमार वर्मा के कक्ष में पहुंचकर अपनी समस्याओं से संबंधित ज्ञापन सौंपा।
इस्माइल खान ने एडीएम से अपनी समस्याएं बताते हुए मदद मांगी। एडीएम ने हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने चुनाव में स्वीप कार्यक्रम के तहत मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने का संदेश देने के लिए आमंत्रित भी किया। एडीएम ने कहा कि गोल्डन ब्वाय द्वारा जागरुकता का संदेश दिया जाना कारगर साबित होगा।
पढ़ें :- UP Cabinet : योगी कैबिनेट ने उच्च शिक्षा को नई दिशा, लिए दो महत्वपूर्ण फैसले,एक और निजी विश्वविद्यालय को मिली मंजूरी
गोल्डन ब्वाय के स्कूल में गाड़ी चलाते हैं उसके पिता
गोल्डन ब्वाय इस्माइल खान कोल्हुई क्षेत्र के बटईडीहा गांव के रहने वाले हैं। इनके परिवार में पांच भाई और एक बहन हैं। सबसे बड़े इस्माइल हैं, उसके बाद साहिल (16), सुहेल (8), तुफैल (6), असरफ (2), बहन सादिया (12) हैं। खास बात यह है कि जिस स्कूल में इस्माइल पढ़ते हैं, उसी स्कूल में उनके पिता इब्राहिम गाड़ी चलाते हैं। मां सायमा खातून गृहणी हैं। परिवार में पिता और इस्माइल कमाने वाले हैं। इस्माइल कक्षा 11 में एमजे जीनथ हदीस हाई स्कूल एकसड़वा में पढ़ते हैं।
घर की हालत ठीक नहीं होने के कारण आगरा में स्टैच्यू बनता हूं। दिन में तीन घंटे आगरा ताजमहल परिसर में गोल्डन ब्वाय बनकर हर महीने में लगभग 30 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। पिता छह हजार महीने कमाते हैं। जिसमें भाई बहन के पढ़ाई का खर्च एवं घर के राशन सामग्री का इंतजाम हो जाता है।
यूट्यूब से वीडियो देखकर सीखा ज्ञान
यूट्यूब से वीडियो देखकर गोल्डन ब्वाय बनने के लिए इस्माइल ने सीखा। इस्माइल खान इन दिनों काफी चर्चा में हैं। करीब 19 साल के इस्माइल गोल्डन ब्वाय के नाम से मशहूर हो चुके हैं। सिर से लेकर पांव तक सुनहरे रंग में रंगे गोल्डन ब्वाय से पर्यटक हाथ मिलाते हैं। स्टैच्यू बनने वाले इस्माइल की खासियत है कि वह तीन घंटे हिलते नहीं है।
चलती रहे घर गृहस्थी इसलिए बनता हूं स्टैच्यू
इस्माइल ने बताया कि यूट्यूब से मदद लेकर इस कला को देखकर काम करने की प्रेरणा ली, ताकि परिवार का बड़ा बेटा होने के कारण घर गृहस्थी चला सकूं। जिंदा स्टैच्यू बनना एक कला है। यूरोपीय देशों में कलाकार स्टैच्यू बनकर लोगों को आकर्षित करते हैं। विदेशों में यह रोजी-रोटी का साधन है। अपने देश में यह कला अभी ज्यादा प्रचलित नहीं हुई है।
गोल्डन ब्वाय को आवास दिलाने के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा गया है। उसकी हर संभव मदद की जाएगी। चुनाव में उससे मतदाताओं को जागरूक करने के लिए मदद ली जाएगी। स्वीप कार्यक्रम के तहत गोल्डन ब्वाय लोगों को मतदान के लिए जागरूक करेगा।
– डॉ. पंकज कुमार वर्मा, एडीएम