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Manipur Violence : मणिपुर में जारी हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह आज दे सकते हैं इस्तीफा

By संतोष सिंह 
Updated Date

Manipur Violence :  मणिपुर में दो महीने से जारी हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (Chief Minister N. Biren Singh)  इस्तीफा दे सकते हैं। सूत्रों के हवाले से बताया है कि एन बीरेन सिंह (N. Biren Singh)  आज दोपहर एक बजे राज्यपाल से मिलने वाले हैं।  सूत्रों के मुताबिक, एन बीरेन सिंह (N. Biren Singh) को विकल्प दिया गया था कि या तो वे इस्तीफा दें या फिर केंद्र सरकार मामले में हस्तक्षेप करेगी।   25 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) और एन बीरेन सिंह (N. Biren Singh)  के बीच बैठक हुई थी।  इस बैठक के बाद सीएम ने कहा था कि उन्होंने गृह मंत्री को हाल के डेवलपमेंट्स के बारे में जानकारी दी और राज्य में शांति बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में एक रिपोर्ट भी सौंपी थी।

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राज्य में 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही।  रुक-रुककर झड़प, फायरिंग, घर और दुकानों को जलाने की घटनाएं सामने आ जाती हैं। एक दिन पहले, 29 जून को भी राजधानी इम्फाल में दो लोगों की मौत हुई थी। पिछले 2 महीने में हिंसा के कारण 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसलिए सीएम बीरेन सिंह (Chief Minister N. Biren Singh)  पर आरोप लग रहे थे कि वे हिंसा को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी हिंसा की आग में झुलसते मणिपुर के दो दिन के दौरे पर इंफाल पहुंचे हैं।  राहुल का दावा था कि वो हिंसा के शिकार लोगों का दर्द बांटने और जमीनी हकीकत जानने पहुंचे हैं। दावा ये भी था कि उनके दौरे का मकसद राज्य में शांति बहाली में मदद करना है, लेकिन उनके दौरे के दौरान भी हिंसा की तस्वीरें लगातार सामने आती रहीं।

रिलीफ कैंप पहुंचे राहुल गांधी

बता दें कि गुरुवार रात इंफाल में भीड़ फिर बेकाबू हो गई, यहां सुरक्षाबल और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई।  इस दौरान हालात इतने बिगड़ गए कि भीड़ को काबू करने के लिए सुरक्षाबलों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इंफाल में हिंसा उस वक्त भड़की जब राहुल राज्य के दौरे पर हैं। वो देर शाम इंफाल के रिलीफ कैंप पहुंचे।  यहां उन्होंने हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात की।

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मणिपुर में हिंसा से 100 से अधिक लोगों की मौत

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। बता दें कि सबसे पहले हिंसा तीन मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद भड़की थी। मैतेई समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग थी, जिसके विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाली गई थी। इसी दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच हिंसा भड़क गई थी।

 

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