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Manipur violence : मणिपुर में फिर भड़की हिंसा और आगजनी, बुलाई गई सेना, कर्फ्यू लागू

By संतोष सिंह 
Updated Date

Manipur violence : मणिपुर की राजधानी इंफाल में एक फिर से हिंसा भड़कने की खबर है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इंफाल में कई जगहों पर आगजनी की खबरों के बाद कर्फ्यू फिर से लगा दिया गया है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना बुलाई गई है।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, आगजनी के चलते इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। आज फिर से हिंसा भड़कने के बाद सेना और अर्धसैनिक बलों को मणिपुर भेजा गया है। राज्य की राजधानी इंफाल के न्यू चेकॉन इलाके में एक स्थानीय बाजार में जगह को लेकर मेइती और कुकी समुदाय के बीच मारपीट हो गई। इलाके से आगजनी की खबरें आने के बाद कर्फ्यू घोषित कर दिया गया। खबरों के मुताबिक कुछ खाली घरों को भी आग के हवाले कर दिया गया। इससे पहले शाम चार बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई थी।
बता दें कि मणिपुर में हिंसा के चलते कई जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया गया था और सेना की तैनाती की गई थी। कुछ दिनों की शांति के बाद फिर से हिंसा भड़की है। 15 मई तक हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 73 तक पहुंच गई थी। दंगाइयों ने यहां कई घरों को आग के हवाले कर दिया था। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह इसे लेकर दिल्ली भी पहुंचे थे। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर उन्हें राज्य की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया था।
क्यों जल उठा मणिपुर?
हिंसा की शुरुआत( Manipur violence in Hindi) पहले चूड़ाचांदपुर जिले से हुई थी। 19 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट ने मेती समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का फैसला सुनाया। इसके खिलाफ एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया था।
मणिपुर की वास्तिवक समस्या मानवाधिकारों के उल्लंघन से रही है, 1960 से ही इस विषय पर आंदोलन होते रहे हैं। इसमें हिंसा का पुट तब आया जब उग्रवादी संगठनों ने छोटे छोटे बच्चों को हथियारों की ट्रेनिंग देकर भारत सरकार के खिलाफ भड़काया। मणिपुर में उग्रवाद की समस्या के पीछे बड़ी वजह यह भी रही कि वहां के लोगों को लगता था कि जबरदस्ती उन्हें भारतीय संघ में शामिल किया गया और राज्य का दर्जा दिए जाने में देरी की गई।
मणिपुर में गरीबी, बेरोजगारी, जनसंख्या विस्फोट, जातीय तनाव, बाहर रहने की इच्छा, युवाओं में असंतोष, हिंसा, भ्रष्टाचार और जेंडर इश्यू प्रमुख हैं।
आदिवासी समाज दो वजहों से मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश का विरोध कर रहे हैं। पहला , जनसंख्या और राजनीतिक प्रतिनिधित्व दोनों में मेती समाज का दबदबा है, दूसरा, मेती लोगों की मणिपुरी भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है।
मेती समुदाय को वो वर्ग जो मुख्य रूप से हिंदू हैं, पहले से ही अनुसूचित जाति (SC) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के तहत आते हैं और उसका फायदा भी उन्हें मिला है।
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