आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
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Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary : इस कविता के शब्द शब्द से अंतर्मन को झझकोरने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के यादगार पल प्रतापगढ़ के जनसंघ के प्रथम नायक स्व बाबूलाल श्रीवास्तव के नगर स्थित कमला कुटीर से जुड़ा हुआ है। सन 1962 में जनसंघ की अलख जगाने श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेई एक छोटे से हवाई जहाज से प्रतापगढ़आए थे। उनका जहाज पृथ्वी गंज हवाई अड्डा पर उतरा था । यहां पर उन्होंने नगर स्थित प्रताप बहादुर पार्क में जनसंघ के लोकसभा उम्मीदवार राजा अजीत प्रताप सिंह, विधायक के उम्मीदवार बाबूलाल श्रीवास्तव , ओंकार नाथ द्विवेदी और बालेंदु भूषण सिंह के लिए एक जनसभा को संबोधित किया था। पूर्व विधान परिषद सदस्य ,भाजपा के यूपी के पूर्व महामंत्री विंध्यवासिनी कुमार श्रीवास्तव जो इस समय हाईस्कूल के छात्र थे जो अटल जी की जनसभा को सुनने गए थे ने उन्होंने बताया की उसी दिन नगर जीआईसी मैदान में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी एक जनसभा को संबोधित किया था। इस जनसभा ने प्रतापगढ़ में एक नया इतिहास रचा। जिसमें जनसंघ से तीन विधायक बाबूलाल श्रीवास्तव, ओंकारनाथ द्विवेदी, बालेंदु भूषण सिंह विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे और राजा अजीत प्रताप सिंह जनसंघ से जीत कर सांसद बनकर लोक सभा पहुंचे।
बाबूलाल जी के परिवार के साथ घर पर किया था भोजन
जनसभा को संबोधित करने के बाद अटल बिहारी बाजपेई नगर सेठ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता लखन लाल के साथ बाबूलाल श्रीवास्तव के निज निवास नगर के कटरा रोड स्थित कमला कुटीर पहुंचे जहां पर बाबूलाल श्रीवास्तव के पत्नी और बच्चों के साथ घर में बने भोजन को ग्रहण किया और इस घर में काफी देर तक रुके । अटल जी के घर आगमन को यादगार रखने के लिए बाबूलाल श्रीवास्तव ने कैमरे में कैद कराई जो आज भी उनके परिवार के लोग बहुत संजो कर रखे हुए हैं। बाबूलाल श्रीवास्तव के सबसे छोटे बेटे पूर्व न्यायाधीश ज्ञान चंद्र श्रीवास्तव जी जो अटल जी के साथ छाया चित्र में मौजूद हैं बताते हैं कि श्रद्धेय अटल जी का सानिध्य उस दिन उन्हें भरपूर मिला । उन्होंने अपने हाथों से खाना परस कर उन्हें खिलाया था। अटल जी उनकी पीठ थपथपाकर उन्हें शाबाशी दी थी।
1967 के चुनाव में अटल जी प्रतापगढ़ के बीरापुर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करने के लिए आए थे
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उसके बाद वह सड़क मार्ग से 1967 के चुनाव में प्रतापगढ़ आए और नगर के हादी हाल में जनसंघ के उम्मीदवारों के पक्ष में एक जनसभा को संबोधित किया था। इस बार भी वह जनसभा को संबोधित करने के बाद बाबूलाल श्रीवास्तव के आवास पर आए और नाश्ता पानी करके कुछ देर यहां रुके। इस दौरान उनके साथ यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता और शहर के कई मानिंद लोग डॉक्टर गुलाब चन्द्र खत्री, के पी इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल ओम प्रकाश श्रीवास्तव, नरसिंह तिवारी, महावीर श्रीवास्तव एडवोकेट,राम सेवक त्रिपाठी एडवोकेट, पीबी इंटर कॉलेज के प्राचार्य रामाशंकर सिंह,जगत नारायण खंडेलवाल, लखनलाल और बाबूलाल श्रीवास्तव जी स्वयं मौजूद रहे ।
जनसंघ के उम्मीदवार के लिए प्रचार किया और वोट मांगा था
बाबूलाल श्रीवास्तव बेटे पूर्व न्यायाधीश ज्ञान चंद्रा बताते हैं ,उनके घर से नगर के सेठ लखन लाल जी के फिएट कार से बाबूलाल श्रीवास्तव, लखनलाल और बाबूलाल के छोटे बेटे ज्ञान चंद्रा को लेकर कुंडा में एक जनसभा को संबोधित करने गए। 1967 के चुनाव में अटल जी प्रतापगढ़ जनपद के बीरापुर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करने के लिए आए थे जो उस समय मछलीशहर संसदीय क्षेत्र में था। यहां पर वो रानीगंज स्थित लाला की बाग में एक जनसभा को संबोधित किया था। अटल जी जनसंघ के पदाधिकारी सत्यनारायण गुप्ता के मधवापुर गांव और दरियापुर के लाल साहब कृष्णकांत के घर भी गए थे। जहां से वह साइकिल से कई गांवों का भ्रमण कर जनसंघ के उम्मीदवार के लिए प्रचार किया और वोट मांगा था।
अटल जी को सुनने को यहां पर सैलाब उमड़ पड़ा था
भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष तत्कालीन अध्यक्ष गणेश नारायण मिश्र बताते हैं कि अटल बिहारी बाजपेई अंतिम बार 1996 में नगर रामलीला मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था। वह जनसभा को संबोधित करने सड़क मार्ग से प्रतापगढ़ आए सड़क के गड्ढे और खराब हालात पर अटल जी ने मंच से तंज कसते हुए कहा की मैं सुल्तानपुर रोड से सड़क मार्ग से आ रहा था तो उनकी कार जिसमें वह बैठे थे ऐसा लगा रहा था जैसे किसी पालने में झूल रहे हैं। अटल जी को सुनने को यहां पर सैलाब उमड़ पड़ा था। अटल जी अटल है अटल रहेंगे।अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कवि कृष्ण गोपाल त्रिपाठी की ये पंक्तियां अटल की अटल यात्रा को अमर बनाती है।
देश भक्ति में मदहोश सा,जवानी मैं भरता जो जोश था
जी जान से जुटता था,भारत के दिल में वो जो बस्ता था
जो पोखरण का राज़ था,कारगिल विजय का सरताज था
सड़कों का जिसने किया आगाज़ था,यू एन की आवाज़ था
जो मनाली में भी बसता था,और उत्कृष्ट व् भावुक कवि था
जो रग रग हिन्दू था,भारत जिसके दिल दिमाग में बसता था
जिसके एक एक शब्द में दमख़म था,वो युगपुरुष अटल था
अटल था अटल है अटल रहेगा, दिल में हमारे जो अटल था
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(अमितेन्द्र श्रीवास्तव )