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कृषि कानूनों की वापसी पर मोदी कैबिनेट की मुहर, अब संसद के शीत सत्र में पेश किया जाएगा विधेयक

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने कृषि कानूनों की वापसी की संवैधानिक प्रक्रिया (Constitutional Process) का पहला कदम उठाते हुए बुधवार को कैबिनेट ने वापसी वाले बिल को मंजूरी दे दी है। अब इसके बाद मोदी सरकार (Modi Government) इसको संसद में पेश करेगी। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बीते शुक्रवार को ही इन कानूनों का वापसी का ऐलान किया था। अब इस पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद बिल को संसद के शीत सत्र में पेश किया जाएगा। संसद सत्र (Parliament Session) 29 नवंबर से शुरू हो रहा है। इससे पहले ही दिन यह बिल पेश होने वाला है। हालांकि अब भी संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) से जुड़े 40 संगठन दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और उनका कहना है कि एमएसपी (MSP) समेत 6 मांगों के पूरा होने पर ही घर वापसी करेंगे।

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राकेश टिकैत (Rakesh Tikait ) ने ऐलान किया है कि आगामी 29 नवंबर को किसान संसद मार्च (Farmer Parliament March) करने को तैयार हैं। राकेश टिकैत (Rakesh Tikait ) ने कहा  कि 1000 लोग और 60 ट्रैक्टर संसद की ओर कूंच करेंगे।

किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait ) ने कहा कि सरकार ने घोषणा की है तो वो प्रस्ताव ला सकते हैं, लेकिन MSP और 700 किसनों की मृत्यु भी हमारा मुद्दा है। सरकार को इस पर भी बात करनी चाहिए। टिकैत ने कहा कि आगामी 26 जनवरी से पहले तक अगर सरकार मान जाएगी तो हम चले जाएंगे। चुनाव के विषय में हम चुनाव आचार संहिता (Election code of conduct) लगने के बाद बताएंगे।

राकेश टिकैत (Rakesh Tikait ) ने कहा कि आगामी 29 नवंबर को ट्रैक्टर उन रास्तों से जाएंगे जो रास्ते सरकार ने खोले हैं। हम पर इल्जाम लगा था कि हमने रास्ते बंद कर रखें हैं। हमने रास्ते बंद नहीं किए। राकेश टिकैत (Rakesh Tikait ) ने कहा कि सड़कों को ब्लॉक करना करना हमारे आंदोलन का हिस्सा नहीं है। हमारा आंदोलन सरकार से बात करने का है। हम सीधे संसद जाएंगे।

राकेश टिकैत (Rakesh Tikait ) का बयान ऐसे समय में आया है, जब पीएम मोदी (PM Modi) खुद कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल (central cabinet) बुधवार को कृषि कानूनों पर वापसी को लेकर अपनी मंजूरी दे सकता है। कृषि कानून निरसन विधेयक को लेने की उम्मीद है। इसे संसद के शीतकालीन सत्र(winter session)  में पेश किए जाने की संभावना है।

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खाप पंचायतें बोलीं-अब खत्म कर देना चाहिए आंदोलन

हालांकि किसान आंदोलन जारी रखने या बंद करने को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं। 24 खाप और गठवाला खाप के नेताओं ने बताया कि अब इस आंदोलन को समाप्त करते हुए किसानों को घर वापसी कर लेनी चाहिए। वहीं कई खाप नेताओं ने आंदोलन को जारी रखने का समर्थन करते हुए कहा कि एमएसपी (MSP) को लेकर अभी संघर्ष चलते रहना चाहिए। बीते एक साल से किसान संगठन यूपी (UP) और हरियाणा (Haryana) से लगी दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर डटे हुए हैं और इसके चलते कई रास्ते भी जाम हैं।

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