लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भ्रष्ट अफसरों और भ्रष्टाचार पर लगाम कस रहे हैं। भ्रष्टाचार में संलिप्त अफसरों पर योगी सरकार का हंटर भी चल रहा है। लेकिन सूबे के कई ब्यूरोक्रेटस जब करोड़ों रुपयों की जालसाजी करने वाले महेश चंद्र श्रीवास्तव जैसे लोगों का साथ देना शुरू कर दें तो कई सवाल उठने लगते हैं।
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प्रदेश के सीएम हर काम को पारदर्शिता से करा रहे हैं लेकिन कुछ ब्यूरोक्रेटस इसमें भी सेंध लगा रहे हैं। ब्यूरोक्रेटस और कुछ सफेदपोश लोगों की मदद से ही महेश प्रदेश में धड़ल्ले से काम कर रहा है। अभी भी उसकी कंपनी आरक्यूब इंफ्राटेक प्रा.लि. प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेजों के निर्माण कार्य में लगी है, जबकि उसके खिलाफ कई मुकदमें दर्ज हो चुके हैं।
आरक्यूब इंफ्राटेक प्रा.लि. कंपनी और महेश चंद्र श्रीवास्वत के खिलाफ भाजपा के कई विधायकों ने भी शिकायत की है लेकिन की भ्रष्ट जड़ों में फंसे ब्यूरोक्रेटस हर बार कागाजों में ही उसकी जांच को ठंडी कर दे रहे हैं। लिहाजा, पिछली सरकारों से शुरू हुआ जालसाज का ये काम अभी भी जारी है।
पार्टियों में जुटता है ब्यूरोक्रेटस का जमावड़ा
जालसाज की जड़े बहुत अंदर तक जमी हुई हैं। मामूली पार्टी में भी उसके यहां ब्यूरोक्रेटस का जमावड़ा लग जाता है। सूत्र बताते हैं कि इसके हर जालसाजी में ब्यूरोक्रेटर ने भी खूब साथ दिया है। इस कारण वह हर कदम पर बच गया है।
कई शिकायतों के बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई
महेश चंद्र श्रीवास्वत के खिलाफ लखनऊ पुलिस, मुख्य सचिव, सीएम समेत अन्य लोगों से की गईं। भाजपा के विधायकों ने भी इसकी कंपनी आरक्यूब इंफ्राटेक प्रा.लि. और महेश चंद्र श्रीवास्तव के खिलाफ शिकायत की बावजूद इसके जालसाज हर बार बच गया। अब सवाल उठता है कि योगी सरकार में भी ऐसे जालसाजों को कौन संरक्षण दे रहा है, जब सीएम योगी जीरो टॉलरेंस नीति का दावा कर रहे हैं।
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बचाव करने वालो आईएएस अफसरों के खिलाफ डीओपीटी से आए पत्र!
सूत्रों की माने तो महेश चंद्र श्रीवास्वत को संरक्षण देने वाले तीन आईएएस अफसरों के खिलाफ डीओपीटी के यहां से पत्र आए हैं लेकिन शासन में बैठे अफसरों ने इसे फाइलों में गुम कर दिया है। लिहाजा, पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया है।