नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से समर्पण करने के लिए शुक्रवार को समय मांग लिया है। इसके बाद जस्टिस एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) ने आवेदन दाखिल करने को कहा है।
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बता दें कि अगर चीफ जस्टिस विशेष पीठ का गठन करते हैं तो आज ही इस मामले में सुनवाई हो सकती है। सिद्धू के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने मुवक्किल के आत्मसमर्पण के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सिंघवी को एक उचित आवेदन पेश करने और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बेंच (Chief Justice of India Bench) के समक्ष इसका उल्लेख करने के लिए कहा है।
जानें क्या था मामला?
27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरवाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे। मार्केट में पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। इसके बाद बात हाथापाई तक जा पहुंची। इस दौरान सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2018 में सिद्धू को मात्र एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) के उस आदेश को 15 मई 2018 को दरकिनार कर दिया था जिसमें रोडरेज के मामले में सिद्धू को गैरइरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सिद्धू को एक 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी माना था, लेकिन उन्हें जेल की सजा नहीं दी थी। 1000 रुपये का जुर्माना लगाया था। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (Section 323 of the Indian Penal Code) के तहत इस अपराध के लिए अधिकतम एक साल जेल की सजा या 1000 रुपये जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।
हाथ भी अपने आप में एक हथियार: कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने आदेश में कहा कि हाथ भी अपने आप में एक हथियार हो सकता है। अगर एक बॉक्सर, पहलवान, क्रिकेटर या बेहद तंदुरुस्त व्यक्ति पूरे झटके से इसका इस्तेमाल करे। ऐसे में केवल जुर्माना लगाकर सिद्धू को छोड़ देना ठीक नहीं है। हालांकि पीठ ने पीड़ित पक्ष के वकील सिद्धार्थ लूथरा की सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के तहत दोषी ठहराने की दलील को खारिज कर दिया। पीठ ने सिद्धू को धारा-323 (गंभीर चोट पहुंचाने) का ही दोषी माना और इस अपराध के तहत दी जाने वाली अधिकतम एक वर्ष कैद की सजा सुनाई।