लखनऊ : यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज ब्लड ट्रांसफ्यूजन और इम्यूनोहिमैटोलॉजी के क्षेत्र में बहुत परिवर्तन हुआ है। दशकों पूर्व एक यूनिट ब्लड केवल एक व्यक्ति के लिए उपयोगी बन पाता था। लेकिन ब्लड कम्पोनेंट सेपरेटर यूनिट लगने से आज एक यूनिट ब्लड कई लोगों की जान बचाने में उपयोगी हो रहा है। रक्तदान के क्षेत्र में विभिन्न तकनीकी परिवर्तनों के साथ-साथ जनजागरूकता की आवश्यकता है, ताकि ब्लड की कमी को दूर किया जा सके।
पढ़ें :- UP Cabinet Meeting: सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक, पास हुए ये अहम प्रस्ताव
इण्डियन सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एण्ड इम्यूनोहिमैटोलॉजी (आईएसबीटीआई) की 48वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस ‘ट्रांसकॉन-2023’ के शुभारम्भ कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने तीन दिवसीय ‘ट्रांसकॉन-2023’ में देश भर से आये सभी महानुभावों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रबन्धन, तकनीक व ज्ञान के परस्पर उपयोग से बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। इस प्रकार की कॉन्फ्रेंस ज्ञान व तकनीक के आदान-प्रदान तथा लोगों में जागरूकता पैदा करने का बेहतर माध्यम बनती हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह कॉन्फ्रेंस प्रदेश के लिए और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी विशेषज्ञों तथा इसके अन्य स्टेक होल्डर्स के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि देश में 1.5 करोड़ यूनिट ब्लड की डिमाण्ड है, तो आज भी 20-25 लाख यूनिट ब्लड की कमी दिखायी पड़ती है। क्योंकि लोगों में रक्तदान के लिए जागरूकता का अभाव है। रक्तदान जैसे पवित्र कार्य की जागरूकता के लिए गांव व स्कूलों में कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वकर्मा जयन्ती व आधुनिक भारत के शिल्पी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन 17 सितम्बर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयन्ती 02 अक्टूबर, 2023 तक प्रदेश में सेवा पखवाड़ा का आयोजन किया गया। हर जनपद में हर यूनिट के द्वारा ब्लड डोनेशन के वृहद कार्यक्रम आयोजित किये गये। सेवा पखवाड़ा के दौरान प्रदेश में 25,000 यूनिट ब्लड एकत्रित किया गया और इससे कई गुना लोगों ने अपने ब्लड ग्रुप की जांच कराकर वहां सुरक्षित रखवाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित करें। स्वैच्छिक रक्तदान के कार्य से स्कूल, कॉलेज, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों, सामाजिक व धार्मिक संगठनों को जोड़ा जाए। समय-समय पर सेमिनार व अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। इससे हम ब्लड डेफिसिट को पूरा कर पाएंगे। साथ ही, यह ऑर्गन ट्रांसप्लांट की दिशा में एक नई शुरूआत होगी। ऑर्गन ट्रांसप्लांट के कार्य में ऑर्गन डोनेशन का अभाव आज भी देखने को मिलता है। क्योंकि लोगों में इस सम्बन्ध में जागरूकता की कमी है। ऑर्गन डोनेशन की दिशा में एक नये प्रयास की आवश्यकता है। दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिजन उस व्यक्ति के ऑर्गन डोनेट करके अन्य व्यक्तियों की जान बचाने में मदद कर सकते हैं। हमारा देश महर्षि दधीचि के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव रखता है। क्योंकि महर्षि दधीचि ने सकारात्मक ताकतों को विजयी बनाने के लिए अपना बलिदान दिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश की आबादी का सबसे बड़ा राज्य है। वर्तमान में लगभग 25 करोड़ लोग उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं। प्रदेशवासियों के लिए स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने और स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश और दुनिया में हो रहे नवाचारों को प्रदेश में लाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार प्रयासरत हैं। विभिन्न धर्मार्थ और सामाजिक संगठनों के प्रयासों तथा इस प्रकार की कॉन्फ्रेंस से ज्ञान और तकनीक के आदान-प्रदान में सहायता मिलती है।
पढ़ें :- सीएम योगी ने नवनियुक्त 701 वन दरोगाओं का वितरित किया नियुक्ति पत्र, कहा-07 लाख से अधिक नौजवानों को सरकारी नौकरी देने में हुए सफल
कोरोना काल खण्ड में एक-एक व्यक्ति की जान बचाना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता थी। उस समय चिकित्सकों, हेल्थ वर्कर्स, फ्रण्ट लाइन वर्कर्स ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ अभिनन्दनीय कार्य किया। कोविड से पूर्व प्रदेश के कई जनपदों में आईसीयू बेड्स की सुविधा नहीं थी। लेकिन आज प्रदेश के सभी जनपदों में आईसीयू बेड की सुविधा उपलब्ध है। आईसीयू बेड के संचालन के लिए स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल खण्ड में एसजीपीजीआई, केजीएमयू जैसे संस्थानों के माध्यम से प्रदेश के सभी जनपदों में वर्चुअल आईसीयू का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में सबसे बड़ी आबादी के राज्य उत्तर प्रदेश ने कोरोना के संक्रमण व मृत्युदर को न्यूनतम रखने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की।
केजीएमयू देश के सबसे बड़े व पुराने चिकित्सा संस्थानों में से एक है। केजीएमयू लगभग 4,500 बेड्स संचालित करता है। केजीएमयू के एक माह की ओपीडी में जितने लोगों का इलाज होता है, उतनी तो दुनिया के कुछ देशों की आबादी है। केजीएमयू लगभग 10-15 हजार लोगों को प्रतिदिन स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराता है। यह अपने आप में एक बड़ी चुनौती है, जिसका निर्वहन केजीएमयू सफलतापूर्वक कर रहा है। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने ब्लड बैंकिंग के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले चिकित्सकों तथा चिकित्साकर्मियों को आईएसबीटीआई अवॉर्ड प्रदान किया। उन्होंने ‘ट्रांसकॉन-2023’ स्मारिका का विमोचन भी किया।
ज्ञातव्य है कि ‘ट्रांसकॉन-2023’ का आयोजन इण्डियन सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एण्ड इम्यूनोहिमैटोलॉजी के यूपी चैप्टर तथा ब्लड ट्रांसफ्यूजन एवं इम्यूनोहिमैटोलॉजी विभाग किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा किया जा रहा है। यह कॉन्फ्रेंस लगभग 15 वर्षां बाद उत्तर प्रदेश में आयोजित हो रही है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा, केजीएमयू, लखनऊ की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानन्द, केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा, आईएसबीटीआई के पदाधिकारीगण, ब्लड बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञगण व शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।